भोपाल । क्षत्रियों के अराध्य देव हैहयवंशीय भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन पर अर्नगल टिप्पणी करने वाले बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री बुरी तरह घिर गए हैं। देश भर में क्षत्रिय समाज ने धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मध्य प्रदेश के कई जिलों में कलार समाज के लोगों ने बागेश्वर धाम के प्रमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग शुरू कर दी है। इस बीच, राजधानी भोपाल में कलचुरी समाज के युवा ने धीरेंद्र शास़्त्री को उसी की भाषा में जवाब दिया है। यह युवक भोपाल निवासी रामशंकर शिवहरे हैं।

उनके बयान का वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है। दिलचस्प बात यह है कि जिस अंदाज में धीरेंद्र शास्त्री अपने विरोधियों से बात करते हैं, उसी अंदाज में रामशंकर शिवहरे ने अपना विरोध जताया है। वीडियो में रमाशंकर शिवहरे धीरेंद्र शास्त्री को कह रहे हैं कि ‘धीरेंद्र शास्त्री, तुम शास्त्री तो हो ही नहीं, पगले, ठटरी के बरे, सुधर जाओ दो कौड़ी के, वरना तुम्हारे वहीं, गड़ा में आकर गड़ा कर देंगे। तुम्हें कहीं भी प्रोगाम नहीं करने देंगे। ठटरी के बरे, बार ही देंगे।

क्यों मचा है हंगामा
दरअसल, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी एक कथा में बयान दिया है कि क्षत्रिय अचानक प्रकट कहां से हो जाते थे। इस पर थोड़ी सी चर्चा करते हैं, सहस्त्रबाहु जिस वंश से था, उस वंश का नाम था हैहय वंश, हैहय वंश के विनाश के लिए भगवान परशुराम ने फरसा अपने हाथ में उठाया। हैहय वंश का राजा बड़ा ही कुकर्मी, साधुओं पर अत्याचार करने वाला, स्त्रियों पर बलात्कार करने वाला था। यह बयान सामने आते ही ताम्रकार, कलचुरी कलार समाज ने तीव्र विरोध जताया।

कौन हैं सहस्रार्जुन, सुंदरकांड में है जिक्र
गौरतलब कि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस के सुंदरकांड में दोहा क्रमांक 21 के बाद एक चौपाई है। जब हनुमान को बंदी बनाकर लंकेश की सभा में उपस्थित किया जाता है, तब हनुमान दशानन रावण की सभा में रावण का गर्वहरण करते हुए कहते हैं कि जानउं मैं तुम्हारि प्रभुताई। सहसबाहु सन परी लराई॥ समर बालि सन करि जसु पावा। सुनि कपि बचन बिहसि बिहरावा॥

जिसका भावार्थ इस प्रकार है- मैं तुम्हारी प्रभुता को खूब जानता हूं सहस्रबाहु से तुम्हारी लड़ाई हुई थी और बालि से युद्ध करके तुमने यश प्राप्त किया था। हनुमान जी के (मार्मिक) वचन सुनकर रावण ने हंसकर बात टाल दी।धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक बार सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को युद्ध में बुरी तरह से परास्त कर दिया और बंदी बना लिया था। रावण के दादा ऋषि पुलस्त्य के कहने पर सहस्त्रबाहु ने रावण को मुक्त कर दिया था।

मध्य प्रदेश में कलचुरी समाज
सहस्त्रबाहु अर्जुन के राज्य का विस्तार पूरे मध्य प्रदेश में था। महेश्वर, मंडला और जबलपुर में इसके साक्ष्य भी हैं। जबलपुर का त्रिपुरी कालांतर में कलचुरियों की राजधानी भी बनी थी। इसके बाद कई कलचुरी राजाओं ने अलग-अलग स्थानों में राज भी किया।