नई दिल्ली।  दिल्ली में अभिभावकों को महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस खरीदने को मजबूर करने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ दिल्ली सरकार ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है। 12 प्राइवेट स्कूलों को शिक्षा निदेशालय ने कारण बताओ नोटिस दिए हैं और 6 स्कूलों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि अगर स्कूल नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। स्कूलों की डीडीई स्तर पर जांच भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि पैरंट्स से आने वाली शिकायतों पर उन्होंने खुद नजर बना रखी है और शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिए हैं कि हर शिकायत का तुरंत हल निकाला जाए, ताकि अभिभावकों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

दिल्ली शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल की पेशी, आप नेताओं ने काटा बवाल शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि शिक्षा निदेशालय की गाइडलाइंस अभिभावकों को यह स्वतंत्रता देती है कि वे अपनी सुविधा के अनुसार कहीं से भी बच्चों के लिए किताबें और ड्रेस खरीद सकें। दिल्ली सरकार बच्चों की शिक्षा को लेकर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है। नियमों के उल्लंघन करने वालों पर दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट-1973 के संबंधित प्रावधानों की तहत कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा निदेशालय की गाइडलाइंस स्कूल को हर क्लास की किताबों और लिखने की सामग्री की लिस्ट वेबसाइट में देनी चाहिए। यूनिफॉर्म का ब्यौरा देना चाहिए।

 स्कूल कम से कम पांच वेंडर/दुकानों के पते और टेलिफोन नंबर की लिस्ट दें, जहां से अभिभावक किताबें, कॉपी, यूनिफॉर्म खरीद सकें। अभिभावक अपनी सुविधा के हिसाब से किसी और दुकान से भी यह सब खरीद सकते हैं। किसी खास दुकान से खरीदारी के लिए उन्हें मजबूर नहीं किया जा सकता। स्कूल यूनिफॉर्म का रंग, डिजाइन वगैरह तीन साल तक नहीं बदल सकता। इन नियमों के उल्लंघन पर स्कूल पर दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत कार्रवाई होगी। इसमें मान्यता रद्द करने तक का प्रावधान है।