• अतीक अहमद के बेटे असद को यूपी एसटीएफ की टीम ने झांसी में मार गिराया है।
  • एक और बदमाश गुलाब को भी पुलिस ने ढेर कर दिया है।
  • झांसी में यूपी एसटीएफ की यह बड़ी कार्रवाई हुई है।
    झांसी ।
    अतीक अहमद के बेटे असद को यूपी एसटीएफ की टीम ने झांसी में मार गिराया है। उसके अलावा एक और बदमाश गुलाम को भी पुलिस ने ढेर कर दिया है। दोनों पर 5 लाख रुपये का इनाम था और ये उमेश पाल हत्याकांड में वॉन्टेड थे। एसटीएफ की ओर से बताया गया कि इन लोगों की घेराबंदी हुई तो असद और गुलाम फायरिंग करने लगे। इस पर जवाबी कार्रवाई की गई, जिसमें दोनों मारे गए। दोनों ही बाइक पर सवार थे। यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने इस एनकाउंटर की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इन लोगों के पास से विदेश में बने हथियार बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों के पीछे हमारी टीम डेढ़ महीने से जुटी हुई थी और आज जाकर हमें बड़ी कामयाबी मिली है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले भी 5 मिनट के फासले से ये दोनों लोग मिस हो गए थे और चकमा देकर भाग निकले थे। उमेश पाल की हत्या के मामले में अतीक अहमद का बेटा असद वॉन्टेड था और उस पर 5 लाख रुपये का इनाम भी घोषित था। इसी केस में गुलाम भी वॉन्टेड था। अतीक अहमद के 5 बेटों में से असद तीसरे नंबर का था।
    अदालत में है अतीक और उधर बेटा झांसी में मारा गया
    उमेश पाल केस में अतीक अहमद फिलहाल प्रयागराज की अदालत में है और इस बीच झांसी में यह बड़ी कार्रवाई की गई है। अतीक के अलावा उसके भाई अशरफ को भी अदालत में पेश किया गया है। बता दें कि कभी खौफ का पर्याय रहा अतीक अहमद इन दिनों सरेंडर मोड में है। बुधवार को तो उसने यहां तक कहा था कि मेरा परिवार तबाह हो गया है और मैं मिट्टी में मिल गया हूं।
    पांच लाख का था इनामी, असद के दोस्तों ने किए थे कई खुलासे
    माफिया अतीक अहमद के बेटे पांच लाख के इनामी असद ने अपने चाचा अशरफ की मदद से दिल्ली में शरण ली थी। दिल्ली में वह संगम विहार कॉलोनी में छिपा था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की मदद से पकड़े गए असद के दोस्तों ने कई खुलासे किए थे।
    हत्या के बाद कैसे किसे भागना, तय किया था रूट
    उमेश पाल हत्याकांड के बाद असद अन्य शूटर समेत नौ रास्तों से होते हुए भागे थे। साजिश में ही ये रास्ते गुड्डू मुस्लिम और माफिया अतीक अहमद के बेटे असद ने तय कर दिये थे। असद और गुड्डू ने लखनऊ, बिहार और नेपाल सीमा पर छुपने के ठिकाने भी बता दिये थे। इसके साथ ही यह भी सख्त हिदायत थी कि कोई एक दूसरे से मोबाइल पर कतई बात नहीं करेगा। हत्या में शामिल हर आरोपित को अलग-अलग रास्तों से भागना था।