ग्वालियर : प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय, मेडिकल विंग, राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन एवं इडियन मेडिकल एसोसिएशन के सयुंक्त तत्वाधान में आयोजित बी.के. शिवानी दीदी का दूसरा सत्र अटल सभागार, जीवाजी विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ| जिसका विषय था – “पैशन एंड कंपैशन” | कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ |
कार्यक्रम में मुख्य रूप से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शरद कुमार अग्रवाल, माउंट आबू से ब्रह्माकुमारीज मेडिकल विंग के राष्ट्रीय सचिव बी.के. डॉ. बनरसीलाल भाई, ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर ग्वालियर की मुख्य इंचार्ज बी.के.आदर्श दीदी जी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ग्वालियर अध्यक्ष डॉ. राहुल सप्रा, सेक्रेटरी डॉ. ब्रजेश सिंघल, डॉ. स्वाति जोशी उपस्थित रहीं|
कार्यक्रम के शुभारम्भ में बी.के.आदर्श दीदी जी ने सभी का स्वागत अभिनंद किया और राजयोग मेडिटेशन के वारे में भी सभी को बताया ।
कार्यक्रम में डॉ. बनारसीलाल भाई जी ने सबको ब्रह्माकुमारीज संस्था का परिचय दिया और संस्था के द्वारा मेडिकल प्रोफेशन के अंतर्गत हो रहे कार्यों के बारे में स्पष्ट हुए बताया कि कोरोना काल में कोरोना वॉरियर्स के रूप में अपनी सेवाएँ दी उन्हें संस्थान के द्वारा सम्मानित किया गया |
कार्यक्रम में डॉ. शरद कुमार अग्रवाल ने सबसे पहले बताया कि –
1 – “we are the healers” हम स्वयं ही स्वयं को ठीक कर सकते हैं अर्थात हम स्वयं की हीलर है
2- “we are the stress” वर्तमान समय में हम अपनी बीमारी को लेकर तनाव भी महसूस करते हैं
परंतु ऐसे तनाव को कम करने के लिए ऐसे उद्बोधन को सुन कर हम सभी स्वयं को हील कर सकते हैं और वापिस से अपने कार्यक्षेत्र पर जाकर अपना कर्म अच्छे से अच्छा कर सकते हैं ।
डॉ.राहुल सप्रा ने बताया कि आज सबसे पहले अगर किसी चीज पर काम करने की जरूरत है तो वह है हमारे विचार क्योंकि व्यर्थ विचार एक बार चलना चालू होते हैं तो उन्हें रोकना मुश्किल हो जाता है इसलिए जब भी काम करते हैं तो अच्छे विचार आयें सबसे अच्छा तरीका है काम रोक कर कुछ सेकंड्स के लिए अपनी आंखें बंद करें और उन व्यर्थ विचारों को स्टॉप कर दें और परिवर्तन करें इससे आप और भी ज्यादा पीसफुल अनुभव करेंगे और आपके काम करने की क्षमता भी बढ़ जायेगी ।
आगे बी.के.शिवानी दीदी ने पहली सबसे जरूरी बात बताई कि साइंस एक शक्ति है जो दिखाई देती है परंतु आध्यात्म एक शक्ति है जो महसूस करते हैं ।
दूसरी जो चीज उन्होंने बताई वह थी वाइब्रेशन की। जिस प्रकार हम किसी मंदिर या आश्रम में जाते हैं वहां जाते ही हमें सुकून मिलता है शांति मिलती है क्योंकि वहां के वाइब्रेशन वहां का वातावरण सकारत्मक शक्तियों से भरपूर रहता है । वहां व्यक्ति जाता है अशांत और परेशान परंतु ऐसी जगह पर प्रवेश करते ही सभी का मन शांत होने लगता चाहे कुछ क्षण के लिए मिले परंतु एक शांति और सुकून का अनुभव होता है । तो किसी जगह के वाइब्रेशन बहुत महत्वपूर्ण हैं और वो वाइब्रेशन हम सभी के द्वारा ही बनते हैं क्योंकि हम जब भी धार्मिक जगह पर जाते हैं हम सबके विचार बहुत शुद्ध होते हैं, हमारे शब्द मधुर होते है, सेवा भाव होता है तो स्वत ही उस जगह के वाइब्रेशन स्वत ही पावरफुल और पॉजिटिव हो जाते हैं ।
(वाइब्रेशंस एक ऐसी शक्ति का स्त्रोत है जिसे हम खुद बनाते हैं और अनुभव भी करते हैं)
तीसरी बात आज अपने कार्यक्षेत्र पर कर्म करके धन तो सब कमाते हैं परंतु क्या कभी हमने धन के साथ दुआएं कमाने के लिए कार्य किया है। आज एक हॉस्पिटल में लाखों लोग प्रतिदिन चिंता, डर या दर्द में आ रहे हैं तो यह हमारी जिम्मेदारी है कि उन्हें अच्छे से अच्छा इलाज देने के साथ साथ हम उन्हे एक पावरफुल और पॉजिटिव एनर्जी प्रदान करें जिससे वह बीमार लोग आते ही अच्छा, सुकून महसूस करें । इलाज करने में तो थोड़ा समय लग जाता है परंतु इलाज उनके लिए सहज बन जाए साथ ही उस बीमारी से लड़ने की हिम्मत मिले उसके लिए ऐसे वाइब्रेशन उन तक पहुंचना जरूरी है तो जिससे आपको धन के साथ दुआएं भी कमाने का मौका मिल जायेगा ।
अंत में उन्होंने कहा की हमारे कार्यक्षेत्र पर तीन बातों पर ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है –
1 – हम क्या क्रिएट करते हैं
2- हम क्या रिसीव करते हैं
3- हम क्या दूसरों को देते हैं
तो सारा दिन जो इमोशनल इनफेक्शंस हमारे पास आ रही है इससे स्वयं को बचाने के लिए अपने वाइब्रेशन को और शक्तिशाली बनाना पड़ेगा और वो इन तीन बातों पर ध्यान देने से ही होगा ।
मंच का कुशल संचालन और आभार डॉ.स्वाति जोशी के द्वारा किया गया ।
सभागार में शहर से जी.आर. मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. अक्षय निगम, जयारोग्य हॉस्पिटल के सयुंक्त संचालक डॉ. आर. के. एस. धाकड़ सहित अनेकानेक डॉक्टर्स एवं मेडिकल फील्ड से जुड़े लोग उपस्थित रहे |