उज्जैन, . शहर के ख्याति प्राप्त इंजीनियर महेंद्र सिरोलिया वर्ष-2020 में गृहस्थ जीवन त्यागकर जैन मुनि बन गए थे. अब वे मुनि मलयरत्नसागरजी हो गए हैं. मुनि को अपने गृह नगर आ रहे हैं. उनके मंगल प्रवेश पर जैन समाज द्वारा वृहद् कार्यक्रम आयोजित किया गया है.

शहर में श्वेतांबर जैन समाज की ऋषभदेव छगनीरामपेढ़ी ट्रस्ट एवं श्रीसंघ खाराकुंआ के पूर्व अध्यक्ष महेंद्रकुमार सिरोलिया समाजसेवी के साथ इंजीनियर भी रहे. समाज के हर काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना उनकी आदत में बदल गया था. तत्कालिन सिंथेटिक्स में वे इंजीनियर रहे. वहीं समाज सेवा के काम में सतत जुटे रहे. सिंथेटिक्स बंद होने के बाद वे एक निजी कम्पनी में सेवा देने लगे. सेवानिवृत्त होने के बाद सारी गतिविधियां धार्मिक कार्यो में ही बितती रही. उनके में वैराग्य जागा और उन्होने

देव नवरत्नसागर सुरीश्वर महाराज के प्रशिष्य,गणिवर्य आदर्शरत्नसागर महाराज से दीक्षा ले ली. उनको नाम दिया गया मुनि मलयरत्नसागरजी. अब मुनि का मंगलप्रवेश को उज्जैन में होगा. चल समारोह प्रात: 9 कांच का मंदिर, दौलतगंज से प्रारंभ होकर सखीपुरा, इंदौरगेट, नई सड़क, कंठाल, सराफा, नमकमंड़ी होते हुए खाराकुंआ मंदिर उपाश्रय पहुंचेगा. यहां पर मुनि की धर्मसभा होगी.

उनके दीक्षा समारोह के साक्षी उनकी पत्नि बीणाबेन सिरोलिया,पुत्रवधु रिंकलबेन,पुत्र सौरभकुमार सिरोलिया,पुत्री-दामाद सुरभी-वरूण,पौत्री रिया,नाती मनन,रोमी बने थे. जुलाई-2020 में भोपाल (Bhopal) में आयोजित दीक्षा समारोह के बाद उन्होने अपना सांसारिक जीवन त्याग दिया था.

मुनि के सांसारिक पुत्र सौरभकुमार सिरोलिया ने बताया कि मुनि दीक्षा ग्रहण करने के बाद 3 हजार किमी से अधिक की यात्रा कर चुके है. इस दौरान बद्रीनाथए हरिद्वार (Haridwar) , राजस्थान (Rajasthan) सहित कई शहर और गांवों की यात्रा कर की और धर्म ध्वजा फैलाई. अब को उज्जैन आ रहे हैं.