नई दिल्ली । भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से विस्तारित कार्यकाल पर मुहर लगने के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जल्द ही कई राज्यों में बड़े बदलाव कर सकते हैं। चुनावी रणनीति के तहत संभावित इन बदलावों से संगठन और सरकार दोनों प्रभावित हो सकते हैं। जिन राज्यों में यह परिवर्तन किए जाने की संभावना है उनमें बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा व पंजाब को लेकर काफी चर्चा है। राजस्थान, उत्ताराखंड व गुजरात में भी कुछ रणनीतिक बदलाव करने की संभावना है।

नड्डा जून 2024 तक अध्यक्ष बने रहेंगे। इस दौरान पार्टी को इस साल नौ राज्यों, उसके बाद लोकसभा व उसके साथ होने वाले कुछ राज्यों के चुनाव में जाना है। जम्मू और कश्मीर में भी उचित हालात होने पर चुनाव कराए जा सकते हैं। ऐसे में भाजपा ने 2024 तक सभी चुनावों को जीतने का बड़ा लक्ष्य तय किया है। सूत्रों के अनुसार जिन चार राज्यों में अप्रैल तक चुनाव होने हैं, उनको छोड़कर बाकी सभी राज्यों की व्यापक समीक्षा की जा रही है। पार्टी अध्यक्ष चुनावी रणनीति को देखते हुए फैसले लेंगे।

सूत्रों के अनुसार इस साल के आखिर में चुनाव में जाने वाले राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान व तेलंगाना में भाजपा की केवल मध्य प्रदेश में सरकार है। सूत्रों के अनुसार, मध्यप्रदेश की रिपोर्ट अच्छी नहीं है। पार्टी के तमाम सांसदों से लेकर कई नेता, केंद्रीय नेतृत्व तक व्यापक बदलाव की बात पहुंचा चुके हैं। इन बदलावों में संगठन और सरकार दोनों शामिल है। खास बात यह है कि भाजपा मध्य प्रदेश में पिछला विधानसभा चुनाव हार गई थी। हालांकि सवा साल बाद ही कांग्रेस में टूट से उसे फिर से सरकार में आने का मौका मिल गया। ऐसे में राज्य में नेतृत्व को लेकर केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह आश्वस्त नहीं है।

बिहार में जद (यू) के साथ गठबंधन टूटने के बाद भाजपा खुद को नए सिरे से गढ़ने में लगी हुई है। वहां पर विधानसभा चुनाव अभी दूर है। ऐसे में सारी रणनीति के केंद्र में लोकसभा चुनाव है। राज्य में जल्द ही संगठनात्मक बदलाव होने की संभावना है। इसमें सामाजिक समीकरणों को खास तौर पर ध्यान में रखा जाएगा। हरियाणा में भाजपा सरकार में तो ज्यादा बदलाव भले न करे, लेकिन संगठन प्रभावित हो सकता है। गुजरात में महाविजय के बाद प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को अगर केंद्र सरकार में लाया जाता है, तो वहां पर भी संगठनात्मक बदलाव होगा।

भाजपा के नए मिशन में पंजाब प्रमुख है। सीमावर्ती राज्य होने से केंद्र की चिंताएं भी राज्य के साथ जुड़ी रहती हैं। भाजपा दूसरे दलों के प्रमुख नेताओं को साथ लाकर अपना कुनबा बढ़ाने व प्रभावी बनाने में जुटी है। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल, सुनील जाखड़ जैसे नेताओं को पार्टी के साथ जोड़ा गया है। भाजपा खुद को आम आदमी पार्टी के विकल्प के रूप में पेश कर रही है।

सूत्रों के अनुसार पार्टी में तीन सत्तारूढ़ राज्यों की रिपोर्ट अच्छी नहीं है। इनमें मध्य प्रदेश, उत्तराखंड व हरियाणा शामिल हैं। मध्य प्रदेश में इसी साल चुनाव होने हैं, जबकि बाकी दोनों में लोकसभा के बाद होंगे। ऐसे में मध्य प्रदेश को लेकर चिंताएं ज्यादा है।