भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आज हम प्रकृति का शोषण कर रहे हैं। भौतिक प्रगति में हम प्रकृति की अनदेखी कर रहे हैं, इसका शोषण न करें, इसका दोहन करें। भौतिक प्रगति की चाह में हमने प्रकृति का अंधाधुंध शोषण किया है, इसलिए क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग के संकट का हम सामना कर रहे हैं। पर्यावरण को कैसे बचाएं, अब सारे देशों को सोचना पड़ेगा कि हम इस दिशा में कैसे जाएं। उन्होंने कहा कि वन अर्थ वन असेंबली वन फ्यूचर के लिए हम काम करेंगे। युद्धों का अंत नहीं है तो शांति कैसे होगी? सारे थिंकर्स यहां आए हैं, मैं किसी विषय का विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन मैं जी 20 के सभी थिंक टैंक से यह कहना चाहूंगा कि जरा इस दिशा में सोचें।

सीएम चौहान ने ये बातें जी 20 बैठक के शुभारंभ मौके पर कहीं। उन्होंने कहा कि भोपाल कैपिटल आॅफ इटलेक्चुअल हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वन अर्थ, वन फैमिली एंड वन फ्यूचर के सिद्धांत पर कार्य कर रहे हैं। पर्यावरण सम्मत जीवन शैली के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिए विश्व को जागृत किया जा रहा है। सीएम ने कहा हम पर्यावरण मित्र तकनक का प्रयोग करें और धन की व्यवस्था देश करे।
 
जी 20 के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन सिंगला ने कहा है कि विश्व में पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। इन हालातों के बीच हमें मौकों की तलाश करना होगा। हम यहां ऐसे प्रस्तावों पर बातचीत करेंगे जो 2 दिनों में सबके हितों के लिए निकल कर आएंगे। कोरोना के बीच भारत बहुत तेजी से उभर कर आया है। इस समय एक त्वरित जरूरत है कि हम लोगों को विश्वास बना कर हरित प्रगति की ओर पूरे विश्व की जो प्रगति है उस पर काम करें और जी-20 इस पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्मार्ट सिटी भोपाल जो हरितऊर्जा पर काम कर रही है, यहां इसमें अच्छा परफार्म किया है।

दुनिया में महिलाओं, बच्चों के लिए काम करने की जरूरत: श्रृंगला
श्रंगला ने कहा दुनिया भर में महिलाओं और बच्चों को लेकर काम करने की जरूरत है। जी-20 के हिसाब से भारत आवाज है। ग्लोबल साउथ की बहुत सारी समस्याएं हमारे सामने निकल कर आई हैं और इस बैठक में हम इसे रखेंगे। हमारा लक्ष्य है कि ऐसे व्यवहारिक विचार लेकर आएं जो फायदेमंद हों वह व्यावहारिक समाधान लोग लेकर आएं जो आने वाले समय में मानवता को प्रगति की राह दिखा सकें। उन्होंने कहा कि एक बहुत महत्वपूर्ण कारक जो जी 20 के लोगों को ध्यान रखना चाहिए वह यह है कि जमीनी स्तर पर हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को मालूम होना चाहिए कि यह प्रेसिडेंसी क्या है? यह किस चीज का प्रतिनिधित्व कर रही है, इसमें हम जनभागीदारी की बात करते हैं। हम अलग-अलग मंचों का इस्तेमाल कर रहे हैं। विश्वविद्यालय और विद्यालयों में मैराथन और क्विज के जरिये हम युवाओं तक अपनी पहुंच बना रहे हैं। सौ से ज्यादा विश्वविद्यालय इसका हिस्सा हैं। मध्यप्रदेश ने विद्यार्थियों की भागीदारी इसमें की है। पहले यह सरकार की जिम्मेदारी होती थी, अब विद्यार्थी और विधायक भी इस मुहिम से जुड़ रहे हैं।