रतलाम जिले में एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां पुलिस ने एक आदिवासी युवक को गैंगरेप के आरोप में गिरफ्तार किया था। दो साल तक जेल में रहने के बाद युवक को कोर्ट ने बारी कर दिया। जेल से रिहा होते ही पीड़ित युवक ने मध्य प्रदेश सरकार और पुलिस पर 6 करोड़ 2 लाख रुपए का क्षतिपूर्ति दावा ठोक दिया है। युवक ने पुलिस की कार्रवाई को प्रताड़ना की कार्रवाई करार देते हुए क्षतिपूर्ति का दावा ठोका है। मामला मध्य प्रदेश के रतलाम जिले घोड़ाखेड़ा निवासी कांतिलाल सिंह उर्फ कांतु से जुड़ा है। उसे करीब दो साल पहले पुलिस ने गैंगरेप के एक मामले में गिरफ्तार किया था। कांतिलाल बेवजह 2 साल तक जेल में रहा। अब रतलाम जिला एवं सत्र न्यायालय ने उसे बेगुनाह पाया है और दोषमुक्त कर दिया।
पुलिस की प्रताड़ना और झूठे आरोपों के बाद अपने दो साल जेल में बिताने वाले कांतिलाल ने बताया कि 5 साल हो गए परेशान होते-होते। 3 साल पुलिस परेशान करती रही, 2 साल जेल में रहा। बिना अपराध के 2 साल तक जेल की प्रताड़ना सहना पड़ी, परिवार सड़क पर आ गया। अब मैं बच्चों के लिए खाने-पीने का इंतजाम नहीं कर पा रहा हूं। पुलिस ने मुझे जबरदस्ती झूठे केस में फंसा दिया।
क्या है मामला
18 जनवरी, 2018 को एक विवाहित महिला ने रतलाम के बाजना थाने में शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया था कि दोपहर 12 बजे वह घर पर थी। कांतु अमलियार हमारे घर आया और बोला कि साथ चलो, मुझे भाई के घर पर छोड़ देगा। उसकी बातों में आकर मैं उसके साथ बाइक पर बैठकर चली गई। कांतिलाल ने भाई के घर न ले जाकर मुझे घोड़ाखेड़ा के जंगल में ले गया। वहां उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद कांतिलाल ने मुझे भैरू सिंह के सुपुर्द कर दिया। भैरू गमनाका मनासा का रहने वाला है। भैरू उसे मजदूरी कराने के लिए इंदौर तरफ ले गया। 6 महीने तक साथ रखा। इस बीच कई बार दुष्कर्म किया। इसके बाद भैरू ने मुझे सरपंच के हवाले कर दिया। वह मुझे बाजना छोड़ गया। इसके बाद मैंने, घटना के बारे में पति को बताया।
इतना बड़ा क्षति पूर्ति दावा क्यों ठोका
कांतिलाल के वकील विजय सिंह यादव ने बताया कि मानव जीवन का कोई मूल्य तय नहीं किया जा सकता है। पुलिस और राज्य सरकार की वजह से उसका जीवन बर्बाद हो गया। उसे बेगुनाह होने के बावजूद 2 साल तक जेल की प्रताड़ना सहनी पड़ी। इसलिए उन्होंने राज्य शासन और पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध 6 करोड़ 2 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति का दावा जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश किया है। पीड़ित के परिवार में बुजुर्ग मां मीरा, पत्नी लीला और 3 बच्चे हैं। सभी के पालन पोषण की जिम्मेदारी उसी पर है। परिवार भुखमरी की स्थिति में आ गया। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई छूट गई। अब, समाज में वापस जाने के लिए और रोजगार के लिए उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से दावा लगाया गया है।