नई दिल्ली | 26/11 मुंबई हमले के गुनहगार आमिर अजमल कसाब को पुणे के यरवदा जेल में बुधवार को सुबह 7.30 बजे  फांसी दे दी गई। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कसाब को फांसी दिए जाने की पुष्टि कर दी है। कसाब को सोमवार को मुंबई की आर्थर रोड जेल से पुणे के यारवडा जेल में शिफ्ट किया गया था। आर्थर रोड जेल में फांसी देने की सुविधा नहीं है। इसलिए उसे बेहद गोपनीय तरीके से यरावडा जेल ले जाया गया था।
महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने कसाब की फांसी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुंबई पर हमला हमारे देश्‍ा पर हमला था। इसमें 166 लोग मारे गए थे। जिंदा पकड़े गए आतंकी कसाब को कानूनी प्रक्रिया के बाद ही फांसी दी गई है। उन्होंने कहा कि यह हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है।

फांसी से पहले कसाब ने कोई अंतिम इच्छा नहीं बताई। कसाब ने पुलिस को लिखित तौर पर कहा कि उसकी कोई वसीयत भी नहीं है। कसाब का शव पाकिस्तान को सौंपा जाएगा नहीं? इस सवाल पर गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि पकिस्तान की ओर से इस बारे में दरख्वास्त की जाएगी तो मामले पर है विचार किया जाएगा।

ऑपरेशन एक्स दिया था कोड

कसाब को फांसी देने की प्रक्रिया बेहद गोपनीय रखी गई। इसका कोड ऑपरेशन एक्स रखा गया था। इस ऑपरेशन की जानकारी केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, गृहसचिव, आईबी चीफ सहित केवल छह लोगों को थी। फांसी के तुरंत बाद महाराष्ट्र के गृह‌मंत्री आरआर पाटिल को इसकी सूचना दी गई। उन्हें मैसेज किया गया-ऑपरेशन एक्स सक्‍सेजफुली एक्जक्यूटेड।

पहले से तय थी 21 नवंबर की तारीख

केंद्रीय गृह‌मंत्री शिंदे ने बताया क‌ि कसाब के फांसी की तारीख 7 नवंबर को ही तय कर दी गई थी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कसाब की दया याचिका खारिज कर दी थी। 5 नवंबर को राष्ट्रपति ने जरूरी कागजातों पर हस्ताक्षर कर दिए थे। शिंदे ने रोम से लौटने के बाद 7 तारीख को जरूरी प्रक्रिया पूरी की और उसी दिन ही तय हो गया था कि 21 नवंबर को सुबह 7.30 बजे कसाब को फांसी पर लटकाया जाएगा। इसे आदेश को 8 नवंबर को महाराष्ट्र सरकार को भेज दिया गया।

जेल में ही दफनाया गया कसाब का शव
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि कसाब का शव को यरवडा जेल परिसर में ही दफ़ना दिया गया है। पाकिस्तान ने कसाब के शव लेने के बारे में अब तक कोई बात नहीं कही है। केंद्रीय गृहमंत्री शिंदे ने बताया कि कसाब को फांसी दिए जाने की सूचना पाकिस्तान को भेजी गई थी। हालांकि पाकिस्तान ने अधिकारिक तौर पर ख़त लेने से इनकार कर दिया। जिसके बाद उन्हें फैक्स के जरिए सूचना भेजी गई।

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