सागर। महाराष्ट्र के औरंगाबाद के कचनेर गांव स्थित जैन मंदिर में भगवान पाश्र्वनाथ की सोने की 2 किलो 300 ग्राम वजनी मूर्ति मंदिर से चोरी हो गई थी। चोरी का पता दो दिन बाद चला जब प्रतिमा ने अपना कलर छोड़ा तो पता चला कि किसी ने सोने की प्रतिमा चुराकर उसकी जगह पीतल की हूबहू प्रतिमा रख दी थी। फिल्मी स्टाइल में मंदिर के गर्भगृह से सनसनीखेज चोरी के खुलासे के बाद हड़कंप मचा हुआ था। तीन दिन पहले चोर मप्र के सागर मकरोनिया थाना इलाके से पकड़े गए, जिनमें अर्पित जैन शिवपुरी और अनिल विश्वकर्मा शाहगढ़ सागर जिले का रहने वाला है।

पुलिस से मिली जानकारी अनुसार औरंगाबाद जिले के चिकलथाना क्षेत्र के कचनेर गांव स्थित जैन समुदाय के तीर्थस्थल श्री 1008 चिंतामणि पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर से 1 करोड़ 5 लाख रुपए मूल्य की 2 किलो 300 ग्राम वजनी सोने की मूर्ति चुराने वाले दो शातिर बदमाशों को पुलिस मध्य प्रदेश के सागर जिले से गिरफ्तार करने में कामयाब हुई है। पुलिस ने उन दोनों बदमाशों से मूर्ति के टुकड़े कर बचे हुए 1 किलो 700 ग्राम सोने के टुकड़े और 70 हजार रुपए नकद बरामद किए है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान 32 वर्षीय अर्पित नरेन्द्र जैन निवासी शिवपुरी तहसील जिला गुना और 27 वर्षीय अनिल भवानी दिन विश्वकर्मा निवासी शहागढ़ जिला सागर मध्य प्रदेश के रुप में की गई थी।

औरंगाबाद पुलिस द्वारा किए गए खुलासे के अनुसार 25 दिसंबर को जिले के चिकलथाना पुलिस में औरंगाबाद के विनोद लोहाडे ने कचनेर में स्थित जैन समुदाय के तीर्थस्थल श्री 1008 चिंतामणि पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर के कोर से 2 किलो से अधिक वजन वाली सोने की मूर्ति चोरी होने की एफआईआर लिखाई थी। चोर ने सोने के असली मूर्ति चुराकर पीतल की गोल्ड पॉलिश वाली प्रतिमा रख दी थी। पुलिस ने मामले की गंभीरता जांच शुरु की। पुलिस अधीक्षक ने जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी थी।

आचार्य सौभाग्य सागर महाराज के साथ सेवक बनकर पहुंचा था
पुलिस की जांच में सामने आया कि कुछ दिनों पूर्व मंदिर में चातुर्मास जारी था। उसके लिए सौभाग्य सागर महाराज के साथ प्रमुख आरोपी अर्पित नरेन्द्र जैन सेवक बनकर उनके साथ आया था। वह मंदिर में चार महीने तक ठहरा हुआ था। चातुर्मास समाप्त होने के बाद आरोपी नरेन्द्र जैन मध्य प्रदेश रवाना होकर वह 20 दिन बाद फिर कचनेर पहुंचा। इधर, मंदिर में होने वाले अभिषेक के लिए सोने की मूर्ति को बाहर निकाला जाता था। फिर उस मूर्ति उसी स्थल पर रख दिया जाता था। यह सारी जानकारी हासिल करने के बाद 14 दिसंबर को आरोपी अर्पित नरेन्द्र जैन ने चालाकी करते हुए मंदिर में रखी हुई सोने की मूर्ति चुराकर अपने साथ राजस्थान के जयपुर से बनाकर लाई हुई पीतल की मूर्ति रखीं और गायब हो गया था।