भोपाल । उच्च न्यायालय के एक परिपत्र के अनुसार मध्य प्रदेश में अधीनस्थ न्यायपालिका को अब जिला न्यायपालिका और निचली अदालतों को ‘ट्रायल कोर्ट’ कहा जाएगा. परिपत्र के मुताबिक, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ‘पूर्ण अदालत’ की बैठक में शुक्रवार को इस बाबत संकल्प लिया गया था, जिसमें मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और अन्य न्यायाधीशों ने भाग लिया था.

परिपत्र में कहा गया है, ‘‘उच्च न्यायालय के अलावा सभी अदालतों को जिला न्यायपालिका के रूप में संदर्भित किया जाएगा, न कि अधीनस्थ न्यायपालिका के रूप में और उच्च न्यायालय के अलावा अन्य सभी अदालतों को अधीनस्थ अदालतों के बजाए ट्रायल कोर्ट के रूप में संदर्भित किया जाएगा.’’

ये है वजह
परिपत्र मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के आदेश से जारी किया गया है और इसपर रजिस्ट्रार जनरल रामकुमार चौबे ने हस्ताक्षर किए हैं. उच्च न्यायालय के एक शीर्ष रजिस्ट्री अधिकारी ने कहा, ‘‘अधीनस्थ न्यायपालिका और अधीनस्थ अदालतों के इस्तेमाल को रद्द करने के प्रस्ताव का उद्देश्य यह बताना है कि प्रत्येक अदालत अपने अधिकार क्षेत्र में स्वतंत्र है.’’

बता दें कि मध्य प्रदेश ऐसा प्रस्ताव पारित करने वाला देश का दूसरा हाई कोर्ट है. इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने 2 अगस्त 2021 को ऐसा प्रस्ताव पास किया था तब न्यायमूर्ति मलिमठ हिमाचल हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश थे. उस दौरान उन्होंने अदालत की पूर्ण बैठक में इसी तरह का प्रस्ताव पारित करवाया. यहां बता दें कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्यपीठ के अलावा इंदौर और ग्वालियर में दो खंडपीठ हैं.

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने पिछले महीने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से जिला अदालत के न्यायाधीशों के साथ व्यवहार करते हुए ‘‘औपनिवेशिक मानसिकता’’ और ‘‘अधीनता की संस्कृति’’ को दूर करने पर जोर देते हुए कहा था कि देश को ‘‘अधिक आधुनिक और समान न्यायपालिका’’ की ओर बढ़ने की आवश्यकता है.