ग्वालियर। साल 2014 में उजागर हुआ मध्य प्रदेश का बहुचर्चित पीएमटी फर्जीकांड मामले में लंबे ट्रायल के बाद अब दो केस में जल्द ही फैसला आ सकता है, लेकिन ये फैसला इस पीएमटी फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश करने का दावा करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी की गवाही के बगैर ही आएगा। दरअसल, आरटीआइ कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी ने पीएमटी कांड में एक बाद एक कई बड़े खुलासे कर मप्र सहित पूरे देश में खूब सुर्खियां बंटोरी। मीडिया में हीरो बने आशीष को एसआइटी ने कुछ केसों में फरियादी बनाया तो कुछ केस में वह मुख्य गवाह भी बना। बतौर गवाह बने आशीष को पिछले कुछ साल में कई बार कोर्ट ने हाजिर होकर गवाही देने के नोटिस दिए, लेकिन हर बार आशीष ने न्यायालय से दूरी ही बनाकर रखी। हालांकि अशीष ने कोर्ट में नहीं आने के पीछे हर बार अपने स्वास्थ्य का हवाला दिया। लिहाजा विशेष सत्र न्यायालय ने आशीष चतुर्वेदी के दो केस में गवाही के अधिकार खत्म कर दिए है। अब इन्ही दो केस में बिना गवाही के जल्द फैसला आ सकता है।
अब… आवेदन देकर हक बहाली की मांग
राहुल यादव और गौरव गुप्ता केस में गवाही का हक खत्म किए जाने के बाद अब आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी ने फिर एक आवेदन पेश कर दो दिन पहले गवाही के हक को बहाल करने की मांग रखी। इस आवेदन में आशीष ने तर्क रखा कि वह बीमार था। हालांकि आशीष ने जो आवेदन दिया उसमे अभी भी खुद को बेड रेस्ट पर बताते हुए ज्यादा देर तक नहीं बोल सकने की बात कही। हालांकि कोर्ट ने इस आवेदन पर कोई विचार नहीं किया।
कई बार दिए थे मौके
पीएमटी फर्जीवाडा मामले के दो केस में बतौर गवाह होने पर कोर्ट ने आशीष को कई बार मौके दिए, लेकिन हर बार अशीष नए-नए कारण बताकर गवाही से बचते रहे। इस कारण केस की सुनवाई भी कई साल तक गवाही के इंतजार में थमी रही। यही वजह है कि कोर्ट ने आशीष की गवाही का अधिकार खत्म करते हुए कहा कि काफी मौके दिए जा चुके है।
इन दो केस में फैसला जल्द
गौरव गुप्ता केस: मप्र शासन बनाम गौरव गुप्ता केस की ट्रायल भी 2014 से शुरू हुई थी। गौरव गुप्ता ने फर्जी तरीके से पीएमटी पास की थी। इसको पास कराने में कई लोगों पर आरोप है।
राहुल यादव केस: मप्र शासन बनाम राहुल यादव केस की ट्रायल 2014 में शुरू हुई थी। भोपाल काउंसिलिंग में शामिल होने से पहले राहुल ने जीआरपी थाना भोपाल में एफआइआर दर्ज कराई कि ट्रेन में सामान चोरी हो गया है, जिसमें उसकी अंकसूची रखी थी। इसे गलत बताते हुए आशीष ने इसे सप्लीमेंट्री को छुपाने के लिए षडयंत्र बताया था।