उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भ्रष्ट लोग देश को तबाह कर रहे हैं और वे पैसे की मदद से भ्रष्टाचार के आरोपों से बच निकलते हैं. शीर्ष अदालत की यह मौखिक टिप्पणी उस समय आई जब वह सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद करके रखने संबंधी उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही थी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने उनकी याचिका का विरोध करते हुए शीर्ष अदालत से कहा कि नवलखा जैसे लोग देश को नष्ट करना चाहते हैं.

राजू ने कहा, ‘उनकी विचारधारा उस प्रकार की है. ऐसा नहीं है कि वे निर्दोष लोग हैं. वे वास्तविक युद्ध में शामिल व्यक्ति हैं.’ न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने तब टिप्पणी की, ‘‘क्या आप जानना चाहते हैं कि इस देश को कौन नष्ट कर रहा है? जो लोग भ्रष्ट हैं. आप जिस भी कार्यालय में जाते हैं, क्या होता है? भ्रष्टों के खिलाफ कौन कार्रवाई करता है? हम पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया जाना चाहिए.’

पीठ ने कहा, ‘हमने लोगों का एक वीडियो देखा है जहां लोग हमारे तथाकथित निर्वाचित प्रतिनिधियों को खरीदने के लिए करोड़ों रुपये की बात करते हैं. क्या आप कह रहे हैं कि वे हमारे देश के खिलाफ कुछ नहीं कर रहे हैं? मुद्दा यह है कि आप बचाव नहीं करते हैं, उन्हें लेकिन वे बढ़ते चले जाते हैं. वे मस्ती से चलते हैं. पैसे के थैले हैं जो आपको बचाने में मदद कर सकते हैं.’ अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वह भ्रष्टों का बचाव नहीं कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि वैसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

शीर्ष अदालत ने राजू को केंद्र से निर्देश लेने और उसे यह बताने को कहा कि अगर नजरबंदी के अनुरोध की अनुमति दी जाती है तो नवलखा पर क्या शर्तें लगाई जा सकती हैं. पीठ ने कहा, ‘‘कम से कम थोड़े समय के लिए हम देखते हैं. आप पड़ताल करें और वापस आएं ताकि हमारे देश के हित के विपरीत कुछ न हो. हम इसके प्रति समान रूप से जागरूक हैं. अगर वह (नवलखा) कुछ भी गलत करते हैं तो वह अपनी स्वतंत्रता खो देंगे..’