इंदौर।   पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने इस वर्ष की अंतिम लोक अदालत का ऐलान कर दिया है। शनिवार 12 नवंबर को लोक अदालत आयोजित की जाएगी। बिजली कंपनी के अधीन आने वाले मालवा और निमाड़ के 15 जिलों में कुल 44 स्थानों (न्यायालयों) पर लोक अदालत लगेगी। बिजली कंपनी ने घोषणा की है कि शासन से मिली अनुमति के आधार पर लोक अदालत में रखे जाने वाले प्रकरणों में पुराने बकाया पर छूट दी जाएगी। प्री लिटिगेशन स्तर के प्रकरणों में मूल राशि पर तीस प्रतिशत तक छूट मिल सकेगी।साथ ही ब्याज में शत- प्रतिशत छूट मिलेगी।

मप्रपक्षेविविकं के मुख्य महाप्रबंधक रिंकेश कुमार वैश्य के अनुसार कंपनी क्षेत्र के 425 जोन, वितरण केंद्रों, कार्यालयों के माध्यम से लोक अदालत के लिए तैयारी शुरू की गई है। लोक अदालत में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 एवं 135 के तहत दर्ज बिजली चोरी एवं अनियमितताओं के प्रकरणों में समझौता हो सकेगा। प्री लिटिगेशन के माध्यम से निराकरण के लिए निम्नदाब श्रेणी के समस्त घरेलू, समस्त कृषि, 5 किलोवॉट तक के गैर घरेलू एवं 10 अश्व शक्ति भार तक के औद्योगिक उपभोक्ताओं को छूट मिलेगी। इसके तहत प्री लिटिगेशन स्तर सिविल दायित्व की राशि पर 30 प्रतिशत एवं ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

लिटिगेशन स्तर के प्रकरणों में आंकलित सिविल दायित्व की राशि पर 20 प्रतिशत एवं ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। उन्होंने बताया कि निर्धारित छूट के उपरांत शेष बिल आंकलित सिविल दायित्व, अपराध शमन राशि एवं ब्याज की राशि का बिजली उपभोक्ताओं को एकमुश्त भुगतान करना होगा। छूट आवेदक द्वारा विद्युत चोरी/अनाधिकृत उपयोग पहली बार किए जाने की स्थिति में ही दी जाएगी। निराकरण के लिए शर्त रखी गई है कि यदि आवेदक के अन्य कोई कनेक्शन भी है, तो वहां की राशि पूर्ण जमा होना चाहिए। लोक अदालत में हजारों प्रकरणों में समझौते के लिए सकारात्मकता के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है।

इंदौर सहित मालवा-निमाड़ के सभी 15 जिलों में बिजली कंपनी के 425 कार्यालयों के माध्यम से लोक अदालत की तैयारी जारी है। कंपनी स्तर पर लोक अदालत के लिए प्रभारी अधिकारी के रूप में मुख्य सतर्कता अधिकारी कैलाश शिवा को दायित्व सौपा गया है। अब तक लोक अदालत के लिए 35 हजार नोटिस जारी किए जा चुके हैं। संबंधित उपभोक्ताओं, प्रकरण वाले व्यक्तियों से समझौते के लिए जोन, वितरण केंद्र के प्रभारियों द्वारा संपर्क भी किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक प्रकरणों का समाधान हो, साथ ही शासन द्वारा देय छूट का लाभ भी मिल सके।