नई दिल्ली: शादीशुदा महिला अगर ससुराल में घर का काम करती है तो उसे क्रूरता नहीं माना जा सकता और ना ही उसकी तुलना नौकरानी से की जा सकती है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए यह अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने महिला द्वारा अपने पूर्व पति और ससुरालजनों के खिलाफ दर्ज केस को भी खारिज कर दिया.
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट की विभा कंकनवाडी और राजेश पाटिल की बेंच ने यह फैसला दिया है. जिसमें एक महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि शादी के एक महीने तक ससुराल में उसके साथ सही व्यवहार किया गया लेकिन उसके बाद उसे नौकरानी की तरह घर का काम कराया गया. महिला ने दावा किया कि उसके पति और सास-ससुर ने शादी के एक महीने बाद ही उससे कार खरीदने के लिए 4 लाख रुपए की मांग करना शुरू कर दिया था. साथ ही इस मांग को लेकर महिला को शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया.
इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि महिला ने अपनी शिकायत में यह नहीं बताया है कि उसके साथ किस तरह का शोषण किया गया. कोर्ट ने कहा कि “अगर एक शादीशुदा महिला को घरेलू काम करने के लिए कहा जाता है तो यह नहीं माना जा सकता कि उसे नौकरानी की तरह ट्रीट किया जा रहा है. अगर उसका घरेलू काम करने की इच्छा नहीं है तो उसे शादी से पहले बता देना चाहिए ताकि दूल्हा-दुल्हन फिर से इस बारे में विचार कर लें. अगर शादी के बाद इस तरह की समस्या आती है तो उसे सुलझाया जा सकता है.”
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ किसी के खिलाफ शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप लगा देना ही काफी नहीं है. धारा 498ए के तहत मामला दर्ज करने के लिए शोषण का विस्तार से उल्लेख करना जरूरी है. कोर्ट ने कहा कि महिला द्वारा अपने पति और ससुरालजनों के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं होते हैं. इसके बाद कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया.