ग्वालियर।   ग्वालियर के विकास की बातें भले ही राजनेता कितनी भी करें लेकिन हकीकत बिलकुल इससे उलट है। शहर का नागरिक सड़कों के गड्ढों का दंश झेल रहा है, उसमें गिरकर घायल हो रहा। ये बात अलग है कि ग्वालियर जन प्रतिनिधियों को ये गड्ढे दिखाई नहीं देते। अब इस मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है और ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर को नोटिस देकर एक महीने में इस पर जवाब मांगा है।

करोड़ों रुपये की विकास योजनाओं के वादों और दावों के बीच ग्वालियर की जनता बुनियादी जरूरतों के लिए परेशान है। सबसे महत्वपूर्ण जरुरत में से एक शहर की सड़कें बदहाल हैं। शहर के मोहल्लों की गलियों से लेकर मुख्य मार्ग तक पर बड़े बड़े गड्ढे हैं जिनके लिए जनता शिकायत कर चुकी है विपक्ष आंदोलन कर चुका है लेकिन नगर निगम के अधिकारियों को ये सब दिखाई नहीं देता।

इस मामले पर मप्र मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। आयोग ने ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर को नोटिस देकर एक महीने में जवाब मांगा है।  आयोग ने लिखा – ग्वालियर शहर के जयेन्द्रगंज रोड पर गहरे गड्ढों के कारण वाहन चालक परेशान हो रहे हैं। हर रोज इन गड्ढों के कारण वाहन दुर्घटनाग्र्रस्त हो रहे हैं। राजीव प्लाजा होते हुये नदी गेट जाने वाले रास्ते पर गड्ढों व सीवर के चेंबर धंस जाने के कारण वाहनों को भी नुकसान हो रहा है।

इसी तरह हनुमान चैराहा से जीवाजीगंज मार्ग की हालत काफी खराब हैं। यहां पर हर समय काफी ट्रेफिक रहता है, लेकिन नगर निगम अफसरों द्वारा मेंटेनेंस नहीं कराये जाने के कारण स्थिति काफी गंभीर है। लगातार इन ऊंची-नीची सड़क होने के कारण वाहन मालिक संतुलन नहीं बना पाते हैं और वाहन फिसलने केे कारण चोटिल हो जाते हैं।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब उसके सिटी संवाददाता ने फूलबाग, नया बाजार, तारागंज, लाला का बाजार, गश्त का ताजिया, फालका बाजार सहित शहर के कई मार्गों का जायजा लिया, तो वहां की स्थिति काफी खराब मिली।  इस मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर से इन मार्गों के संबंध में समुचित कार्यवाही कराकर एक माह में जवाब मांगा है।

वहीं आयोग ने ग्वालियर के वार्ड क्रमांक पांच में आने वाले आनंद नगर के सी ब्लाॅक के रहवासियों की परेशानी पर भी संज्ञान लिया है।  नगर निगम की अनदेखी की वजह से आनंद नगर सी ब्लॉक की अधिकतर जगहों पर सीवर का पानी भरा हुआ है। नगर निगम के अधिकारी ने जब कोई सुनवाई नहीं की तो यहां के निवासियों ने सीएम हेल्पलाइन में इसकी शिकायत की। वहां भी समस्या का निराकरण करने की बजाय गलत जानकारी देकर उस शिकायत को बंद करा दिया।

निराकरण में लिख दिया गया कि शिकायतकर्ता द्वारा नवीन सीवर लाइन की मांग की गयी है। शासन के निर्देशानुसार सीएम हेल्पलाइन में मांग का कार्य नहीं किया जा सकता है। सीएम हेल्पलाइन में इस कार्य की आपूर्ति किया जाना संभव नहीं है, इसलिए शिकायत बंद की जाती है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं नगर निगम आयुक्त, ग्वालियर से इस संबंध में जांच कराकर एक माह में जवाब मांगा है।