इस बार दिवाली के त्यौहार में कचौरी-समोसे, नमकीन और गरमागरम पूड़ियों का स्वाद अब आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। लंबे समय से खाद्य तेलों में आ रही गिरावट फिलहाल थम गई है। वैश्विक बाजार में तेजी और घरेलू मांग में तेजी के कारण अब खाद्य तेल महंगे हो गए हैं। रुपया और कमजोर होने के कारण भी खाद्य तेलों में तेजी दिखाई दे रही है। दूसरी तरफ बारिश से तिलहन को नुकसान की आशंका से भी खाद्य तेलों के दाम बढ़ने को सहारा मिला है।
दीपावली तक खाद्य तेलों में तेजी जारी रह सकती है। इसके बाद दाम गिरने की संभावना है। सप्ताह भर में आयातित तेलों में आरबीडी पामोलीन तेल के थोक भाव 100-102 रुपये से बढ़कर 110-112 रुपये, कच्चे पाम तेल के दाम 90-92 रुपये से बढ़कर 98-100 रुपये प्रति लीटर हो चुके हैं। देसी तेलों में सोया रिफाइंड तेल के दाम 128-130 रुपये से बढ़कर 136-138 रुपये, सरसों तेल के दाम 132-135 रुपये से बढ़कर 138-140 रुपये, मूंगफली तेल के दाम 165-170 रुपये से बढ़कर 175-180 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं। इस दौरान सूरजमुखी तेल के थोक भाव भी 8 से 10 रुपये बढ़कर 155 से 160 रुपये प्रति लीटर हो चुके हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, देशभर के खुदरा बाजारों में डिब्बा बंद सोयाबीन रिफाइंड तेल 149.10 रुपये, सरसों तेल 167.61 रुपये, मूंगफली तेल 188.65 रुपये और सूरजमुखी तेल 165.18 रुपये प्रति लीटर औसत मूल्य के हिसाब से बिक रहा है।  सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड से जुड़े सूत्रों का कहना है कि देश में दीवाली के लिए खाद्य तेलों की ज्यादातर थोक खरीदी हो चुकी है। चीन भी माल खरीद चुका है। ऐसे में आगे खाद्य तेल सस्ते होने की संभावना है।
खाद्य तेलों से लेकर मसाले की कीमतें बढ़ी हुई नजर आ रही हैं। व्यापारियों का कहना है कि नमकीन की कीमतें बढ़ाने की वजह है कि खाद्य तेल से लेकर ट्रांसपोर्ट तक महंगा हो गया है। कोरोना के बाद से पहले से ही घाटे में व्यापार चल रहा है, ऐसे में कीमत बढ़ाना जरूरी था। उनका कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें लंबे समय से उच्च स्तर पर रहने से हमारी परिवहन लागत 15 से 20 फीसदी बढ़ गई। इसके अलावा नमकीन उत्पादों को पैक करने में प्रयुक्त होने वाला कागज और प्लास्टिक की पन्नी भी महंगी हो गई है। सिंगल यूज प्लास्टिक बैन होने के बाद पैकिंग को लेकर बहुत दिक्कत आ रही है। कोविड-19 के प्रकोप के कारण नमकीन कारखानों के ज्यादातर मालिकों और विक्रेताओं ने अपने कर्मचारियों की पगार पिछले दो साल से नहीं बढ़ाई थी, लेकिन इस साल अप्रैल में नया वित्त वर्ष शुरू होते ही इनकी तनख्वाह में इजाफा किया गया है।