लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और तराई जिलों में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है. लगभग सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. हाल ये है कि पिछले 50 साल में ऐसी बाढ़ कभी यूपी ने नहीं देखी. अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर नदियां बह रही हैं. ना सिर्फ नदी के तटीय इलाके, बल्कि रिहायशी इलाकों में भी नदियों का पानी घुस गया है. बलरामपुर शहर में पानी भले ही अब कम हो रहा है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में हालात जस के तस बने हुए हैं. कई जिलों में लगातार पानी बढ़ता ही जा रहा है।
21 जिलों की 12 लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित
बाढ़ के हालात कितने भयावह हैं, इसका अंदाजा बाढ़ग्रस्त जिलों के आंकड़े देखने से पता चलता है. 14 अक्टूबर के आंकड़ों के हिसाब से यूपी के 21 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. इनमें बरेली, पीलीभीत और शाहजहांपुर को छोड़ दें तो बाकी के सभी जिले या तो पूर्वांचल के हैं या फिर तराई क्षेत्र के. इन 21 जिलों की 12 लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित हुई है. कुल प्रभावित गांवों की संख्या 1661 बतायी गयी है. फ्लड पीएसी की 17, NDRF की 5 और SDRF की 10 टीमें हालात को संभालने में जुटी हैं. कई जिलों में हालात इसलिए भी गंभीर हो गयी है, क्योंकि नदियों ने अपना किनारा तोड़ दिया है. आजमगढ़ में नदी का बांध टूटने से हालात गंभीर हो चले हैं।
तराई और पूर्वांचल के जिलों से बहने वाली घाघरा और राप्ती नदी ने कहर बरपा रखा है. फ्लड कण्ट्रोल के इंजीनियर इन चीफ नरेशचन्द्र उपाध्याय ने बताया कि इन दोनों नदियों में तो इतना पानी आया है जितना पिछले 50 सालों में नहीं आया था. नजीर के तौर पर सिद्धार्थनगर में नदी के लेवेल ने पचास सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. यहां राप्ती का जलस्तर 85.97 मीटर चल रहा है. ये अब तक का सबसे ज्यादा है. यही हाल बलरामपुर, गोरखपुर, गोण्डा और बाकी तराई के जिलों का भी है।
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए खुद सीएम योगी आदित्यनाथ रोज दौरा कर रहे हैं और लोगों को राहत सामग्री बांट रहे हैं. लोगों की राहत के लिए 396 शरणालय बनाये गये हैं. इनमें 37 हजार लोगों ने आसरा ले रखा है. इसके अलावा जरूरतमंद लोगों के बीच लंच पैकेट भी बांटे जा रहे हैं. अभी तक कुल 15 लाख लंच पैकेट जिला प्रशासन की ओर से बांटा गया है. इसके अलावा 1 लाख 27 हजार से ज्यादा खाद्यान्न सामग्री पैकेट भी बांटे गये हैं. 25 हजार से ज्यादा डिमनिटी किट भी बांटे गये हैं।
जिलेवार बाढ़ के संकट की बात करें तो सबसे ज्यादा मार बलरामपुर पर पड़ी है. बलरामपुर के 459 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. इसके अलावा सिद्धार्थनगर के 282, गोरखपुर के 183, गोण्डा के 142 और बहराइच के 114 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. हालात और भी गंभीर होने की आशंका है, क्योंकि जिलों में नदियों के जलस्तर के बढ़ने का सिलसिला जारी है. हालांकि अगले तीन दिन के बाद जलस्तर में कमी आनी शुरू होगी और हालात सामान्य होने में 10 दिन लग सकता है।