नई दिल्ली । गांव हो या शहर आजकल दोपहिया-चारपहिया वाहनों (vehicles) का शौक बचपन से ही आना शुरू हो जाता है. ये तब और ज्यादा होता है जब आपके घर में कोई व्हीकल हो. ऊपर से आजकल के बच्चे टेक्नोलॉजी से घिरे होने के कारण बहुत ही अडाप्टिव ( जल्दी सीखने वाले) नेचर के हैं. कभी-कभी ये भी देखने को मिलता है कि माता-पिता ही अपने बच्चे (Children) को बालिग होने से पहले ही व्हीकल सिखाना शुरू कर देते हैं जो कि कानूनन गलत है बल्कि गैर-जिम्मेदार भी है. नाबालिग बच्चे (minor children) को वाहन चलाते हुए पकड़े जाने पर तगड़ा चालान (challan) और जेल (Jail) तक का प्रावधान है.
25,000 का चालान
अगर कोई बच्चा जिसकी उम्र 18 वर्ष पूरी नहीं हुई है. अगर वह वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है और उसके पास लर्निग का लाइसेंस भी नहीं है तो, मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 199A के तहत जिसके नाम से व्हीकल रजिस्टरड है उसे 25,000 रुपये तक का चालान भरने के साथ ही 3 वर्ष तक की जेल की सजा का भी प्रावधान है.
ये है नियम
मोटरव्हीकल एक्ट के अनुसार, 18 साल से कम उम्र का बच्चा 50cc से अधिक इंजन वाले वाहनों को बिना वैध लाइसेंस के नहीं चला सकता. अगर वाहन के इंजन की पावर कैपेसिटी 50cc से ज्यादा है तो लर्निंग लाइसेंस होना जरूरी है. वहीं 25 kmph की रफ़्तार से चलने वाले इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन को कोई भी चला सकता है. इसके लिए किसी भी तरह के लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन, अगर बच्चा ज्यादा छोटा है और वाहन चलाने में सक्षम नहीं है तो पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि बच्चे की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए साथ अन्य लोगों की भी सुरक्षा को देखते हुए जब तक कि बच्चा कानूनन तय उम्र सीमा को पार नहीं कर लेता उसे वाहन चलाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.