इन्दौर। प्रदेश के चर्चित नौकरशाह, इंदौर के पूर्व कलेक्टर और प्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके एसआर मोहंती की मुश्किलें फिलहाल कम होती नजर नहीं आ रही हैं। 719 करोड़ के आईसीडी घोटाले में जबलपुर हाईकोर्ट के उनके खिलाफ फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका खारिज कर दी। बीते कई वर्षों से यह जांच शासन करवा रहा है और अब ब्याज-बट्टे सहित  इसकी लेनदारी कई गुना हो चुकी है। उद्योगपतियों को खैरात में बांटे गए 719 करोड़ के लोन में इंदौर सहित देश के कुछ प्रमुख उद्योगपति शामिल रहे हैं।

मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम द्वारा वर्ष 2000 और उसके बाद औद्योगिक घरानों को जो इंटर कार्पोरेट डिपॉजिट स्कीम यानी आईसीडी के तहत 719 करोड़ के लोन बांटे थे, उसका सिलसिलेवार खुलासा करता रहा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में एसआर मोहंती ने संचालक के पद पर रहते हुए अपने कई उद्योगपति मित्रों को करोड़ों का लोन खैरात के रूप में ही बांट दिया। अभी अप्रैल माह में जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने उनके खिलाफ फैसला दिया था और केन्द्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण यानी केट से मिला स्टे खत्म कर दिया। यानी मोहंती के खिलाफ चल रही जांच जारी रहेगी।

ब्याज-बट्टे सहित चार हजार करोड़ हो गई खैरात में बांटी कर्ज की राशि

22 साल पहले 719 करोड़ रुपए का जो कर्ज उद्योगपतियों को खैरात के रूप में बांटा गया था, उसकी मूल राशि तो प्राप्त ही नहीं हुई, वहीं ब्याज-बट्टे सहित यह लेनदारी चार हजार करोड़ रुपए से अधिक का आंकड़ा पार हो चुका है। हालांकि कुछ उद्योगपतियों ने राशि जमा भी की है। मगर उनकी संख्या बहुत कम है। अधिकांश उद्योगपतियों ने यह लोन की राशि हजम ही कर ली।

इंदौर की भी कई फर्मों को किया मालामाल…फोन पर ही 5 करोड़ मंजूर

इंदौर सहित प्रदेश और यहां तक कि दिल्ली-मुंबई की भी कई फर्मों को इंटर कार्पोरेट डिपॉजिट स्कीम के तहत ये लोन बांटे गए थे, जिसमें  इंदौर की अल्पाइन, ईशर समूह, एईसी से लेकर सिद्धार्थ ट्यूब्स सहित कई फर्में शामिल रही हैं। जमीनी इस घोटाले की थी, उसमें यह भी खुलासा किया कि मोहंती ने इंदौर की एक कम्पनी को टेलीफोन पर ही पांच करोड़ रुपए की राशि उस वक्त दिलवा दी थी।