भोपाल। प्रदेश के बाल संप्रेषण गृहों में बच्चों को चिकन और अंडा नहीं परोसा जाएगा। इस मामले में सरकार ने यू टर्न लेते हुए पूर्व में जारी निर्देशों को विलोपित करा दिया है।
पहले किशोर न्याय बोर्ड संबंधित नियम बनाते समय राज्य सरकार ने बाल संप्रेषण गृह में रहने वाले बच्चों को सप्ताह में एक बार चिकन अथवा अंडा चार दिन प्रति सप्ताह अथवा बालक की खाने की आदत के अनुरुप कुल मात्रा 115 ग्राम दिए जाने के निर्देश जारी किए थे। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस आदेश के जारी होंने के बाद कहा था कि प्रदेश में नहीं चलेगा अंडे का फंडा। प्रदेश में किसी भी शासकीय संस्था में चिकन और अंडा नहीं परोसा जाएगा। अब महिला बाल विकास विभाग ने राजपत्र में संशोधन करते हुए यह निर्देश वापस ले लिया है। राज्य सरकार ने शाकाहारी बच्चों को इसके स्थान पर सप्ताह में एक बार प्रत्येक बच्चे को साठ ग्राम गुड़ और मूंगफली अथवा पनीर न्यूट्री नगेटस और पनीर सौ ग्राम परोसने के आदेश जारी किए थे। अब इसमें से शाकाहारी शब्द हटा लिया गया है। अब सभी को यही सामग्री दी जाएगी।
पहले दिए गए निर्देशोें में गैर शाकाहारी दिवसों पर शाकाहारी बालकों को या तो प्रति व्यक्ति साठ ग्राम गुड़ और साठ ग्राम मूंगफली लड्डू के आकार में या अन्य स्वीट डिश या सौ ग्राम पनीर या न्यूट्री नगेट्स दी जाएगी इसे भी समाप्त कर दिया है। चिकित्सक की सलाह पर ही अंडे और अन्य पौष्टिक चीजें दी जाएंगी।