भोपाल। चिकित्सा के स्नातकोत्तर (एमडी व एमएस) पाठ्यक्रम संचालित करने वाले मध्य प्रदेश के छह सरकारी मेडिकल कालेजों में एमडी व एमएस की 300 सीटें बढ़ाने की तैयारी है। इसके लिए संबंधित कालेजों में तय मापदंड के अनुसार संसाधन बढ़ाए जा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से संसाधन बढ़ाने के लिए प्रति सीट एक करोड़ 20 लाख रुपये का अनुदान भी मिल रहा है। यह राशि किस्तों में दी जा रही है। प्रदेश में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में सीटें बढ़ाने की तैयारी है।
सीटें बढ़ाने की स्वीकृति भारत सरकार ने वर्ष 2020 में दी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से संसाधन नहीं बढ़ाए जा सके। इस साल सभी कालेजों ने इसकी तैयारी लगभग पूरी कर ली है। अब संबंधित कालेजों की तरफ से इन सीटों की मान्यता के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को इस साल के अंत तक प्रस्ताव भेजा जाएगा। एनएमसी का दल कालेजों का निरीक्षण करेगा। इसके बाद सीटें बढ़ेंगी। सभी कालेजों में चिकित्सकीय और गैर चिकित्सकीय विषयों में 50 से 75 तक सीटें बढ़ाने की तैयारी है।
सीटें बढ़ने से यह होगा लाभ
- प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी काफी हद तक दूर हो सकेगी।
- अस्पतालों में भर्ती मरीजों के इलाज के लिए जूनियर डाक्टरों की संख्या बढ़ेगी। इलाज में सुविधा हो जाएगी।
- बंध (बांड) पत्र के तहत एमडी व एमएस के बाद एक साल के लिए डाक्टरों को अनिवार्य रूप से सरकारी अस्पतालों में सेवा देनी होती है। इस तरह हर साल 300 पीजी बंध पत्र चिकित्सक मिलेंगे।
- सीटें बढ़ाने के लिए उपकरण, डाक्टर, कुछ अस्पतालों में अलग से ओपीडी ब्लाक, मरीजों की संख्या बढ़ने के अनुमान से दवा वितरण केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इस तरह संसाधन बढ़ने से मरीजों को सीधा फायदा मिलेगा।
- सरकारी कालेजों में एमडी व एमएस की सीटें — 878 (50 प्रतिशत अखिल भारतीय कोटा मिलाकर)
- सरकारी मेडिकल कालेज जिनमें स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चल रहा– इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर।
- एमडी व एमएस कराने वाले निजी मेडिकल कालेज– आठ (इनमें आरकेडीएफ मेडिकल कालेज को इसी सत्र से मान्यता मिली है।
निजी मेडिकल कालेजों में एमडी व एमएस की सीटें– 636
प्रदेश में विशेषज्ञों की इतनी कमी
पदनाम | स्वीकृत | रिक्त |
विशेषज्ञ | 3615 | 2949 |
मेडिकल आफिसर | 5099 | 1090 |
दंत चिकित्सक | 185 | 66 |
इनका कहना
स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की 300 सीटें अगले साल बढ़ाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। इससे सीटें तो बढ़ेंगी ही मरीजों के इलाज में भी फायदा होगा।
विश्वास सारंग, मंत्री, चिकित्सा शिक्षा