भोपाल।  प्रदेश में जीएसटी की वसूली में वृद्धि के लिए वाणिज्यिक कर विभाग की टीम अब घंटों सड़क पर टैक्स चोरी करने वाले वाहनों का इंतजार नहीं करेगी। विभाग आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल टैक्स चोरी रोकने में कर रहा है।

इसके लिए टोल नाकों और जियो मैपिंग के जरिये टैक्स चोरी पकड़ने पर फोकस किया जा रहा है। इस व्यवस्था को कुछ स्थानों पर लागू करने के बाद अब प्रदेश भर में इसे प्रभावी किया जाएगा। वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा की जा रही कवायद में अब यह व्यवस्था की जा रही है कि टोल प्लाजा से गुजरने वाले ट्रकों की लोकेशन तकनीक के जरिए पता की जाए। इसके लिए जियो मैपिंग का भी सहारा लिया जाएगा और विभाग का मानना है कि इसके माध्मय से बड़ी टैक्स चोरी को रोका जा सकेगा।

अफसरों के मुताबिक इस व्यवस्था के पूरी तरह लागू होने के बाद मुख्यालय पर बैठकर विभाग के अधिकारी व्यापारियों के एक स्थान से दूसरे स्थान को जाने वाले ट्रकों की लोकेशन तक टेÑस कर सकेंगे। चूंकि व्यापारियों की ओर से दिए जाने वाले बिल में वाहन का नम्बर लिखा जाता है। इसलिए कौन सा ट्रक कहां से कहां को जा रहा है और ट्रक में क्या माल भरा गया है, इसकी जानकारी आसानी से हासिल की जा सकेगी। टोल प्लाजा से वाणिज्यिक कर अधिकारियों को ट्रकों का नंबर मिल जाएगा। यह नंबर विभाग के सिस्टम पर आते ही विभाग के अधिकारी उस ट्रक के नंबर पर जनरेट हुए ई वे बिल को अधिकारियों के सामने ला देगा। इससे अधिकारियों को आसानी से पता चल जाएगा कि किस ट्रक में क्या माल है और वह मौके पर पहुंच कर जांच के लिए ट्रक को पकड़ सकेंगे और उसमें लोड मॉल की स्थिति का वास्तविक आकलन कर सकेंगे।

टोल से निकलते ही मिलेगी लोकेशन
अभी जो व्यवस्था प्रभावी है उसमें वाणिज्यिक कर विभाग के उड़नदस्ता टीम को इस बात का इंतजार करना पड़ता है कि मुखबिर सूचना दें या फिर कृषि विभाग, वन विभाग के टोल नाकों से सूचना मिले कि कोई ट्रक गुजरा है जिसमें टैक्स चोरी की स्थिति की जांच हो सकती है। इसके लिए अफसरों को घंटों तक सड़कों के किनारे इंतजार करना पड़ता है। अब ऐसी स्थिति नहीं होगी। जियो मैपिंग और टोल नाकों से मिलने वाली सूचना के आधार पर अफसरों को सड़क से गुजरने वाले मालवाहक वाहन ट्रक की लोकेशन मिलती रहेगी और उसे अधिकारी अपनी सुविधा के मुताबिक जांच के दायरे में लेकर जांच कर सकेंगे। इससे टैक्स चोरी में तेजी से लगाम लगने की उम्मीद जताई जा रही है।