अहमदाबाद। जब से कोरोना महामारी ने दस्‍तक दी है उसी समय हर काम डिजिटाइजेशन हो गया है। यहां तक कि दूध दही और सब्जी से लेकर शिक्षा की भी ऑनलाइन मार्केटिंग शुरू करा दी है। स्कूल कॉलेज से लेकर कोचिंग तक हर संस्थान महज छह इंच के स्मार्टफोन तक सिमट कर रह गए हैं, हालांकि स्‍कूल और कॉलेज अब । ऐसे में साइबर ठगी का खतरा भी दिन पर दिन और गहराता जा रहा है। कहीं ऑनलाइन कोर्स की बिक्री तो कहीं फ्री क्लासेज के नाम पर साइबर ठग छात्रों को झांसे में लेकर फ्रॉड कर रहे हैं।

आपको बता दें कि एक ओर समाज में जहां अच्छे कार्यों को बढ़ावा देने के लिए डिजिटाइजेशन एक नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर इसका इस्तेमाल अपराधों को बढ़ावा देने में भी बखूबी देखने को मिल रहा है। जामताड़ा और मेवात गिरोह इसकी जीती जागती नजीर पेश कर रहे हैं। जामताड़ा और मेवात गिरोह के दिग्गज अब अपनी विरासत को जीवित रखने के लिए अगली पीढ़ी के साइबर बदमाशों को सलाह दे रहे हैं।

गुजरात पुलिस की एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक गिरोह के दिग्गज सदस्य अपना नाम बनाए रखने के लिए सिम क्लोनिंग, वित्तीय धोखाधड़ी और सेक्सटॉर्शन तकनीकों में इच्छुक जालसाजों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। वे बेरोजगार युवाओं तक बड़े पैमाने पर पहुंचने के लिए सोशल मीडिया ग्रुप्स, मुख्य रूप से टेलीग्राम पर वीडियो पोस्ट कर रहे हैं। यह पैंतरा युवाओं की एक ऐसी खेप पर आजमाया जा रहा है, जो कि एक आकर्षक ‘करियर विकल्प’ के रूप में कॉन नौकरियों को देखते हैं। अपराध को अंजाम देने की बारीकियां सिखाने के अलावा, ये अनुभवी धोखेबाज लॉजिस्टिक सपोर्ट में भी खासा मदद करते हैं। साइबर पुलिस भी इन धोखेबाजों की हर गतिविधि पर पैनी नजर बना रखे हुए है।