नरसिंहपुर: इन दिनों पूरे मध्य प्रदेश में भगवान श्री गणेश की आराधना हो रही है. सारे मंदिर आकर्षक रूप से सजे हुए हैं. उस मंदिरों में भक्तों की जबरदस्त भीड़ है, जो किसी न किसी मान्यता या चमत्कार के लिए माने जाते है. ऐसा ही एक गणेश मंदिर मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में हैं. इस मंदिर को मन्नतपूर्ति का द्वार और श्री गणेश देव स्थानम भी कहा जाता है. यहां प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थापित भगवान श्री गणेश की दुर्लभ मूर्ति सदियों पुरानी है. मान्यता है कि यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. खासकर, उन लोगों को भगवान का विशेष आशीर्वाद मिलता है, जिनकी शादी नहीं हुई है.
कहा जाता है कि इस मंदिर परिसर के कण-कण में भगवान गणेश का निवास है. यह मंदिर चारों और बड़े-बड़े वृक्षों और खेत खलिहान से घिरा हुआ है. मंदिर की देख-रेख करने वाली महिला पुजारी रमा पुरोहित बताती हैं कि भगवान श्री गणेश ने खुद इस स्थान को चुना है. इसका संबंध 17वीं शताब्दी से है. उस वक्त शहर के ही प्राचीन नरसिंह मंदिर में स्थापित करने के लिए ये प्रतिमा लाई गई थी. लेकिन, मंदिर में उस वक्त निर्माण कार्य हो रहा था. इसलिए भगवान को कुछ समय के लिए पास ही एक खेत में रख दिया गया. इसी बीच भगवान गणेश ने नरसिंहपुर के जाट सरदार को सपने में दर्शन देकर आदेशित किया कि मैं इसी स्थान पर रहूंगा, तब से भगवान गणेश यहीं विराजमान हैं.
मंदिर में विराजमान भगवान श्री गणेश की प्राचीन प्रतिमा दुर्लभ है. यह प्रतिमा दक्षिणावर्ती है, यानी भगवान श्री गणेश की सूंड दक्षिण की ओर है. प्रतिमा संगमरमर से बनी हुई पूर्व मुखी है. इस बैठी हुई मुद्रा के बारे में जानकार बताते हैं कि भगवान श्री गणेश की जब बैठे हुए स्वरूप में पूजा होती है तो वह स्थाई सिद्धि प्रदान करते हैं. ऐसी प्रतिमाओं की पूजा सिर्फ मंदिरों में ही विशेष विधि विधान से की जा सकती है. गणेश पुराण के अनुसार ही यहां पूजा होती है. पूजन के बाद श्री गणेश की महाआरती होती है.
सिद्ध गणेश मंदिर परिसर में भगवान श्री गणेश से जुड़े हुए कई सारे अलौकिक चमत्कारों की कहानियां मिलती हैं. मंदिर परिसर में एक प्राचीन पीपल का वृक्ष भी लगा हुआ है, जो सैकड़ों साल पुराना है. इस पीपल के वृक्ष में प्राकृतिक रूप से भगवान श्री गणेश की आकृति उभर आई है. जिसमें साफ-साफ भगवान श्री गणेश की सूंड, आंखें और एक दंत दिखाई दे रहा है. भक्त इसे भी भगवान का बड़ा चमत्कार मानते हैं और मंदिर में प्रतिमा के साथ पीपल के वृक्ष की भी विधि-विधान पूर्वक पूजा होती है.
भगवान सिद्धिविनायक के मंदिर से जुड़ी एक बड़ी मान्यता यह भी है कि यहां पर भक्तों की जोड़ियां भी बनती हैं. यानी जिनकी शादी नहीं हो पा रही या शादी में विलंब होता है वह भगवान गणेश के पास अपनी अर्जी लगाते हैं. इसके बाद उनका विवाह निर्विघ्न रुप से संपन्न होता है. भक्त यहां गणेश भगवान की प्रतिमा के पीछे सिक्के चिपकाते हैं. कई लोगों का दावा है कि सिक्के चिपक जाते हैं. इसके साथ ही भगवान श्री गणेश से विवाह के लिए प्रार्थना की जाती है. श्रद्धालुओं का कहना है कि भले ही बात विवाह की हो, कोर्ट की हो या कोई दूसरी समस्या, भगवान श्री गणेश हर समस्या दूर करते हैं.