नई दिल्ली । छोटे अपराधों में आधी सजा काट चुके कैदी जेलों से रिहा किए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने प्ली बारगेनिंग प्रावधान के तहत अपराधियों को छोड़ने के लिए देश के 13 हाईकोर्ट और राज्यों को निर्देशित किया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि ऐसे छोटे अपराध वाले कैदियों को पहचानें, जो अपने अपराध की आधी सजा काट चुके हैं। उन्हें प्ली बारगेनिंग करवाकर जेलों से मुक्त करें। सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में भीड़ और अदालतों में मुकदमों और अपीलों के निपटने में लगने वाले समय को देखते हुए यह कदम उठाया है।

छत्तीसगढ़ का बेहतर प्रदर्शन इस मामले में छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य ने प्रगति की है। उसने 31 मामलों में फैसला ले लिया है। छत्तीसगढ़ ने हर जिले से तीन मजिस्ट्रेटों को शनिवार को जेलों में भेजकर प्ली बारगेनिंग माफी पर फैसला लेने की पहल की है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, गुवाहाटी, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल को आदेश दिया है कि वे ऐसे प्रयास करें और प्ली बारगेनिंग के माध्यम से अपराधियों को रिहा करें। अन्य राज्यों कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात से कहा है कि वे भी इसे अपनाएं। कोर्ट इस मामले की लगातार निगरानी कर रहा है। इस पर अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी।

क्या है ‘प्ली बारगेनिंग’
यह सजा माफी का एक प्रावधान है। इसे सात वर्ष या उससे कम के सजा पाने वाले अपराधों में, अपराधी के गुनाह कबूलने पर लागू किया जाता है। माफी के प्रावधान धारा 265ए से 265एल को 2005 में संशोधन के जरिये सीआरपीसी में जोड़ा गया था।

यहां अपराध की प्रकृति के अनुसार माफी के प्रावधान हैं। इसके अलावा माफी तभी दी जाती है, जब अभियुक्त मुकदमा न लड़े और सीधे अपना दोष स्वीकार कर ले। माफी की इन विधियों को अल्फोर्ड प्ली और नोलो कंटेंडर प्ली कहा जाता है। इनमें छूटने पर अपराधी पर दोष सिद्धी या दंडित होने का दाग नहीं रहता। भारत में इसे लागू करने के लिए कोर्ट प्रयास कर रहा है।