भोपाल। मानव अधिकार आयोग में सदस्य के पद पर मनोहर ममतानी की नियुक्ति खटाई में पड़ सकती है। इस नियुक्ति के लिए वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया जिसको लेकर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की याचिका पर हाईकोर्ट जबलपुर ने इस नियुक्ति को लेकर सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता को नोटिस जारी किया है।
मानव अधिकार आयोग के सदस्य के चयन के लिए आयोग ने कानून बनाकर नियुक्ति की शर्तें और प्रक्रिया तय की है। इसके तहत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अध्यक्षता में चयन समिति बनी है। इस समिति में विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और गृह मंत्री पदेन सदस्य होते है। इन चारों की सहमति से सभी सदस्यों की सिफारिश पर सदस्य की नियुक्ति की जा सकती है। लेकिन मानव अधिकार आयोग में सदस्य मनोहर ममतानी की नियुक्ति के मामले में नियम और प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। नेता प्रतिपक्ष की गैर मौजूदगी में समिति की बैठक कर बिना नेता प्रतिपक्ष की सहमति लिए मनोहर ममतानी की नियुक्ति का निर्णय लिया गया और राज्यपाल से इसका अनुमोदन भी करा लिया गया और गुपचुप नियुक्ति आदेश जारी कर दिए गए।
इस प्रक्रिया का नहीं हुआ पालन
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि आयोग में सदस्य के पद पर नियुक्ति के लिए छह मई को शाम को कार्यालयीन समय समाप्त होने के बाद उनके बंगले पर एक डिप्टी कलेक्टर यह सूचना लेकर आई कि सात मई को सुबह बैठक है जिसमें मानव अधिकार आयोग में सदस्य की नियुक्ति होना है। सिंह का कहना है कि नियमानुसार इस समिति की बैठक और सदस्य की नियुक्ति की सूचना कम से कम सात दिवस पूर्व दी जानी चाहिए। लेकिन देर शाम को बैठक देकर सुबह बैठक आयोजित कर ली गई। जबकि उन्होंने सूचनादाता अधिकारी को यह बताया था कि 7 अगस्त को उनकी पार्टी की ग्वालियर में संभाग स्तरीय बैठक है जिसमें उन्हें शामिल होने जाना है। नियुक्ति के लिए एजेंडा भी पहले से दिया जाना चाहिए लेकिन नहीं दिया गया। एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है कि चयन समिति के अध्यक्ष समेत सभी सदस्यों की सहमति से ही नियुक्ति होगी लेकिन दूसरे दिन सात अगस्त को बैठक कर सरकार ने मनमाने तरीके से 8 मई को उन्हें बताए बिना मनोहर ममतानी को मानव अधिकार आयोग का सदस्य बनाए जाने के आदेश भी जारी कर दिए। सिंह का कहना है कि सरकार ने नियमों का खुला उल्लंघन किया है। ममतानी की नियुक्ति के लिये आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके पहले भी जब जमुना देवी नेता प्रतिपक्ष थी उनके कार्यकाल में भी भाजपा सरकार ने बिना उनकी सहमति के नियुक्तियां की है। अब नियमों का उल्लंघन सहन नहीं किया जाएगा।
गोविंद सिंह ने जताई नाराजगी
नियम प्रक्रियाओं का पालन नहीं किए जाने और इस नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष की सहमति नहीं लिए जाने से नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह नाराज है। उन्होंने राज्य मानव अधिकार आयोग में मप्र सरकार द्वारा सदस्य के रूप में मनोहर ममतानी की नियुक्ति की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में यह याचिका लगायी है।इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस कर इसके लिए जवाब मांगा है।