नई दिल्ली। भारत की आजादी को 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर पूरे देश में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ (nectar festival of freedom) मनाया जा रहा है। पीएम मोदी (PM Modi) की अपील पर इसके तहत 13 अगस्त से देशभर में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान जारी रहा। आंकड़ों की मानें तो देश में अकेले डाक विभाग 10 दिन के अंदर एक करोड़ से ज्यादा तिरंगों की बिक्री कर चुका है। इसके अलावा दुकानों और संस्थानों (shops and institutions) की तरफ से भी लोगों को तिरंगे दिए गए हैं। इस बीच यह जानना अहम है कि 15 अगस्त को जो लोग ध्वजारोहण करेंगे, उनके लिए इसका सही तरीका और नियम क्या हैं? इसके अलावा आखिर तिरंगा फहराने के दौरान गलती करने पर क्या सजा हो सकती है?

15 अगस्त को ध्वजारोहण किया जाता है और 26 जनवरी को तिरंगा फहराया जाता है। ध्वजारोहण और झंडा फहराने (flag hoisting and flag hoisting) के बीच एक बड़ा अंतर है। जब तिरंगे को नीचे से रस्सी के माध्यम से खींचकर फहराया जाता है, तो इसे ध्वजारोहण (Flag Hoisting) कहते हैं। लेकिन 26 जनवरी में तिरंगा ऊपर ही बंधा होता है, जिसे पूरा खोलकर फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना (Flag Unfurling) कहते हैं। तिरंगा फहराने के सही तरीकों और इसके अपमान पर सजाओं का जिक्र मिलता है फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 में। इसके अपमान से जुड़ी कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 कानून के तहत की जाती हैं।

26 जनवरी 2002 के फ्लैग कोड के नियम 2.2 के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति, संस्था, शैक्षिणिक संस्थान और निजी-सरकारी संस्थान तिरंगा झंडा को सम्मान के साथ किसी भी दिन या किसी भी अवसर पर फहरा सकते हैं। भारतीय झंडा हाथ से काते गए, हाथ से बुने गए ऊनी/ सूती/ सिल्क/ पॉलिस्टर या खादी के कपड़े से बना होना चाहिए। झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 ही होना चाहिए। यानी भारतीय झंडा एक वर्ग के आकार में न होकर आयत होना चाहिए। इससे पहले मशीन से बने और पॉलिस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति नहीं थी।

नियमों के मुताबिक, राष्ट्रीय ध्वज में किसी तरह की तस्वीर, पेंटिंग या फोटोग्राफ का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। फटा हुआ और मैला झंडा प्रदर्शित नहीं कर सकते। ध्वज के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। इसे झुका कर नहीं रखना चाहिए। जहां तिरंगा फहराया जा रहा है, वहां यह सबसे ऊपर होना चाहिए। यानी इसके साथ कोई और झंडा इससे ऊंचा नहीं होना चाहिए। जिस भी खंभे या स्तंभ पर झंडा लगा हो उस पर किसी तरह का विज्ञापन नहीं होना चाहिए। यानी राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए नहीं किया जा सकता है।

भारतीय ध्वज संहिता, 2002 (Flag Code 2022) को 20 जुलाई 2022 के संशोधन के बाद जहां ध्वज खुले में प्रदर्शित किया जाता है या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, वहां इसे दिन-रात फहराया जा सकता है। जबकि पहले तिरंगे को सूर्योदय से सूर्यास्त तक लगाने की अनुमति थी। देश में कागज के झंडे का चलन काफी ज्यादा है, लेकिन इस तरह के झंडे बाद में लोग फेंक देते हैं, ये पैरों के नीचे या कूड़े के ढेर में दिखाई देते हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है। तिरंगे का इस्तेमाल करने के बाद में उसे मर्यादित तरीके से एकांत में रखना जरूरी है। फ्लैग कोड के मुताबिक देश के झंडे का संपर्क किसी भी हालत में जमीन या पानी से नहीं होना चाहिए। अगर यह किसी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है तो इसे एकांत में जलाकर नष्ट कर देना चाहिए। कोई व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते, इसे जलाते, दूषित करते, कुचलते या नियम विरुद्ध ध्वजारोहण करते पाया जाता है तो उसे तीन साल की जेल या जुर्माना देने का दंड मिल सकता है। व्यक्ति को जेल और जुर्माना दोनों से ही दंडित किया जा सकता है।