आज रक्षाबंधन है। बहनों को खुशियों का तोहफा देने के साथ 3 बहनों की रुलाने वाली ये कहानी भी पढ़िए। तीन बहनों का इकलौता लाडला भाई… उसके लिए बहनें ही पूरा संसार थीं। आलम ये था कि एक बहन की शादी हुई तो उसने ससुराल नहीं जाने दिया। जीजा को मनाकर अपने घर ले आया। कहा- मेरी खुशी की खातिर वो यहीं आ जाएं। जीजा भी उसकी जिद को न टाल पाए। रक्षाबंधन को 10 दिन बचे थे। बहनें उसकी कलाई पर राखी बांधने की तैयारी कर रही थीं, लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल में जब आग लगी तो वहां वार्ड बॉय वीर सिंह मरीजों की जिंदगी बचाने में ऐसे जुटा कि उसे अपनी जिंदगी का ख्याल ही नहीं रहा। जब तक बहनें पहुंचतीं, तब तक तो वीर सिंह का धुएं से दम घुट चुका था।

रक्षाबंधन से ठीक 10 दिन पहले 1 अगस्त की दोपहर अस्पताल अग्निकांड में जिंदगी गंवाने वाला वीर सिंह जैसा नाम, काम भी वाकई वैसा ही। जबलपुर के न्यू कंचनपुर इलाके में रहने वाले वीर के पिता का 20 दिसंबर 2008 को कैंसर से निधन हो गया था। वे लोको पायलट थे। घर में चार बच्चे थे। रोशनी, चांदनी, मोनिका और वीर। मां सरिता ठाकुर पर 4 बच्चों की परवरिश का जिम्मा था। रोशनी सबसे बड़ी थी। उसने मां के साथ परिवार को आगे बढ़ाया।

पिता की मौत हुई तो वीर 14 साल का था। छोटी बहन मोनिका की रेलवे में नौकरी लगी। वो नागपुर में शिफ्ट हो गई। कहती हैं- हम अपने भाई को कभी अकेले नहीं जाने देते थे। उसे गाड़ी नहीं लेने दी। वो साइकिल से ही चलता था, हमें डर लगता था कि कहीं एक्सीडेंट न हो जाए।

अप्रैल 2021 में शादी हुई, 4 महीने की बच्ची

चांदनी कहती है कि 21 अप्रैल 2021 को वीर की शादी हुई। उसकी 4 महीने की बच्ची है। मैंने उसकी शादी के बाद कहा कि अब हम अपने घर जा रहे हैं, लेकिन वो नहीं माना। अपनी शादी के बाद भी उसने हमें मम्मी का घर नहीं छोड़ने दिया। कहता था कि तुम चली जाओगी तो मैं भी घर छोड़कर चला जाऊंगा।