रायपुर।  प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा नवा रायपुर के सेक्टर-20 स्थित शान्ति शिखर रिट्रीट सेन्टर में स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया गया। विषय था- आध्यात्मिकता द्वारा जीवन मूल्यों की रक्षा। समारोह में बोलते हुए गृह सचिव अरूण देव गौतम ने कहा कि बचपन से ही हमारे अन्दर यह भय पैदा कर दिया जाता है कि ऐसा मत करो नहीं तो यह हो जाएगा आदि। इसका दुष्प्रभाव यह होता है कि बहुत प्रयास करने पर भी हम ताउम्र उस भय से बाहर नहीं निकल पाते हैं। मन में छिपे इस डर को जीतना होगा। यह आशंका ही हमारी शक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन है। अन्यथा हमारे अन्दर इतनी अधिक शक्ति छिपी हुई है कि उसके जागृत होने पर हम किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। हमारा आत्म विश्वास इतना बढ़ जाएगा कि कभी अपने को कमजोर नहीं समझेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि अध्यात्म का सीधा सा अर्थ है स्व की खोज यानि निज स्वरूप की पहचान। ब्रह्माकुमारी संस्थान में बहुत ही सरलता के साथ समझाया जाता है कि आप कौन हैं? कहाँ से आए हैं? आपके जीवन का लक्ष्य क्या है? राजयोग मेडिटेशन द्वारा स्वयं को परमात्मा की छत्रछाया में सुरक्षित समझने से भय और आशंकाओं से मुक्त हो सकते हैं। क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि दुनिया में जिस तेजी से विज्ञान और तकनीक का विकास हो रहा है, उसी तेजी से नैतिक मूल्यों का पतन भी हो रहा है। पहले इतने भौतिक सुख के साधन नही थे किन्तु लोगों में परस्पर भाई-चारा, स्नेह और अपनापन था। इन दिनों मनुष्य तनाव, भय और असुरक्षा के साए में जीवन बीता रहा है। सहनशक्ति की कमी होने से झट तनाव में आ जाता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में जितने भी दुष्कर्म होते हैं यदि उनका विश्लेषण किया जाए तो यह विदित होता है कि उन सभी बुराइयों के पीछे काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार में से कोई न कोई विकार अवश्य ही छिपा हुआ होता है। यह बुराईयाँ ही मनुष्य को दु:खी और अशान्त करती हैं। इसलिए इन मनोविकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत है।

राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी ने कहा कि इस समय तनाव और अवसाद सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। यह तनाव मनुष्यों को बीमार कर रहा है। आधुनिक जीवनशैली हमें दिनों दिन आध्यात्मिकता से दूर कर रही है। निज स्वरूप को न जानने के कारण नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य को भूलते जा रहे हैं। राजयोग मेडिटेशन हमें परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति देता है। हीन भावना से बचने के लिए कभी भी अपनीे तुलना किसी दूसरे से नहीं करना चाहिए। इस अवसर पर कु. परिणीता और कु. वैष्णवी ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया। संचालन ब्रह्माकुमारी चित्रलेखा दीदी ने किया।