भोपाल।  प्रदेश में पुलिस हिरासत में हुई मौतों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रदेश में एक साल के भीतर 25 फीसदी का इजाफा इस तरह की घटनाओं में हुआ है। इनमें से कुछ मामलों की पूरी जानकारी अब तक राष्टÑीय मानव अधिकार आयोग के पास भी नहीं पहुंची है। यह खुलासा हाल ही में राष्टÑीय मानव अधिकार आयोग की एक रिपोर्ट में हुआ है।

मध्य प्रदेश में आमतौर पर पुलिस हिरासत में मौतों के मामले अन्य राज्यों की तुलना में कम ही होते हैं, लेकिन इस बार प्रदेश में चौकाने वाली बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल की तुलना में इन मौतों की संख्या में तेजी से उछाल आया है। प्रदेश में वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 में 38 मामले ज्यादा सामने आए हैं। इसके साथ ही प्रदेश में पहली बार पुलिस हिरासत में हुई मौतों की संख्या ने 200 का आंकड़ा भी पार कर लिया है। अब तक यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में ही पार होता था, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश ने भी दो सौ के आंकड़े को छू लिया है।

पिछले साल 163 मौतें
प्रदेश में वर्ष 2020-21 में 163 मौतें पुलिस हिरासत में हुई थी, इसके बाद इस तरह के मामलों को रोकने के लिए पुलिस मुख्यालय भी सक्रिय हुआ था, लेकिन पुलिस मुख्यालय की सक्रियता भी हिरासत में मौतों के आकंड़े को कम नहीं कर सकी और इस बार यह आंकड़ा 201 पर पहुंच गया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय करेगा पत्राचार
आयोग ने देश भर के अलग-अलग राज्यों की यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी है। इस रिपोर्ट के बाद फिलहाल अब तक केंद्रीय गृह मंत्रालय से इसे लेकर को दिशा निर्देश नहीं आए हैं, फिर भी माना जा रहा है कि जल्द ही इस तरह की मौतों को रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय राज्य सरकार से पत्राचार कर सकता है।