भोपाल। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद मध्यप्रदेश की राजनीति के साथ-साथ केंद्र सरकार में भी अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। करीब दो वर्ष पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सिंधिया को पहले मध्यप्रदेश से राज्यसभा भेजा गया है। इसके बाद पीएम मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में नागरिक उड्डयन मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी सौंप दी है।

अब मोदी सरकार में उन्हें इस्पात मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार के तौर पर एक और बड़ी दी गई है। भाजपा में ज्योतिरादित्य के बढ़ते प्रभाव को लेकर प्रदेश की राजनीति में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एक ओर अहम मंत्रालय मिलने के बाद से दिल्ली से लेकर ग्वालियर तक इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

सिंधिया को भाजपा में शामिल होने के बाद अब तक चार बड़े पद मिल चुके हैं। पार्टी ने पहले उन्हें राज्यसभा भेजा। इसके बाद मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाकर नगर विमानन जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। चार अक्तूबर 2021 को उन्हें भाजपा ने राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह दी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया।

जबकि प्रदेश की भाजपा कार्यसमिति में भी सिंधिया सदस्य हैं। इसके अलावा प्रदेश भाजपा की चुनाव समिति में भी सिंधिया शामिल हैं। यही समिति प्रदेश के सभी बड़े फैसले लेती है। इसके अलावा पीएम मोदी ने भी सिंधिया पर भरोसा जताते हुए उन्हें यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को स्वदेश लाने के लिए विशेष दूत बनाकर रोमानिया और मोलदोवा भेजा था। वहीं पॉलिटिकल अफेयर्स से जुड़ी इन्वेस्टमेंट एंड ग्रोथ से जुड़ी कैबिनेट कमेटी में केंद्रीय मंत्री सिंधिया को शामिल किया गया है।

केंद्र सरकार में मध्यप्रदेश से भाजपा के कद्दावर नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य से केंद्र में बड़े नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पास एक से ज्यादा मंत्रालय हुआ करते थे, अब उनके पास कृषि और किसान कल्याण विभाग ही है। वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल पहले स्वतंत्र प्रभार के मंत्री थे, अब सिर्फ राज्यमंत्री का दर्जा मिला हुआ है। इसके अलावा टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की सियासत को समझने वाले जानकार सिंधिया को नई जिम्मेदारी मिलने के कई मायने निकाल रहे हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि सिंधिया को जिस इस्पात मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है, वह कभी ग्वालियर चंबल के ही दिग्गज नरेंद्र सिंह तोमर संभाल चुके हैं। जब कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया और भाजपा में रहते हुए तोमर एक-दूसरे के विरोधी थे।

भाजपा में शामिल होने के बाद भी दोनों नेता ग्वालियर-चंबल की राजनीति में दो अलग-अलग सिरे माने जाते हैं। सिंधिया का कद भले ही मोदी कैबिनेट में बढ़ रहा हो, लेकिन नरेंद्र सिंह तोमर की गिनती पीएम के पसंदीदा मंत्रियों में होती है। फिलहाल वह कृषि जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। मध्यप्रदेश भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपना अलग कुनबा है। सरकार में भी कई चीजें उनकी मर्जी के हिसाब से चलती हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया जब भोपाल और ग्वालियर में होते हैं तो उनके घर पर कार्यकर्ताओं की भीड़ होती है।