नई दिल्ली। रसोई गैस की कीमतें उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं। पिछले आठ साल में इसके दाम करीब ढाई गुना बढ़ चुके हैं। मार्च 2014 में घरेलू रसोई गैस की कीमत 410 रुपये प्रति सिलेंडर थी। उस समय लोगों को सब्सिडी सीधे खाते में देकर केन्द्र सरकार अपने स्तर पर लागत का कुछ हिस्सा वहन करती थी। अब आठ साल में रसोई गैस की कीमत बढ़कर 1053 रुपये हो गई है।

मार्च 2015 से खातों में सब्सिडी
मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद रसोई गैस सिलेंडर पर दी जाने वाली सब्सिडी को सीधे उपभोक्ताओं के खाते में पहुंचाने का काम शुरू किया। इसके बाद से लोगों को साल में 12 रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया। इसके तहत सिलेंडर बाजार भाव पर मिलता था, लेकिन उसके बदले दी जाने वाली 20 फीसदी तक की सब्सिडी राशि को उपभोक्ता के सीधे खाते में डाली जाती थी।

दो साल पहले सब्सिडी बंद
अप्रैल 2020 में सरकार ने लॉकडाउन लगने के बाद रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी को बंद कर दिया । अप्रैल 2020 तक लोगों को रसोई गैस पर 147 रुपये की सब्सिडी मिलती थी। लेकिन मई 2020 के बाद सब्सिडी बंद है। देश के अधिकांश शहरों में अब सरकार की तरफ से गैस सिलेंडर पर सब्सिडी नहीं दी जा रही है। लिहाजा अब लोगों को बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर ही खरीदना पड़ रहा है। सरकार सिर्फ उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन पाने वाले लाभार्थियों को ही एलपीजी सब्सिडी दे रही है।

पिछले आठ साल में ऐसे बढ़े दाम
एक मार्च 2014 को दिल्ली में घरेलू सिलेंडर 410.50 रुपये का था। एक मार्च 2015 को 610 रुपये हो गया। वहीं, एक मार्च 2016 को घटकर 513.50 रुपये तो एक मार्च 2017 सीधे 737.50 रुपये पर पहुंच गया। एक मार्च 2018 को 689 रुपये तो एक मार्च 2019 को 701.50 रुपये। इसके बाद एक मार्च 2020 को कीमत पहुंची 805.50 रुपये पर। एक मार्च 2021 को 819 और एक मार्च 2022 को 899 रुपये। अब घरेलू एलपीजी की कीमत 1053 हो गई है।