रायपुर: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रायपुर रेल मंडल के कार्मिक विभाग में एक 10 माह की बच्ची राधिका का अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पंजीयन किया गया। अफसरों की मानें तो रायपुर मंडल के इतिहास में संभवतः यह पहला मामला है, जब इतने छोटी उम्र के बच्चे का अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पंजीयन किया गया। इस दौरान बच्ची के अंगूठे और अंगुलियों का निशान भी लिये गये। मासूम बच्ची को उसके परिजन रायपुर रेल मंडल के कार्मिक विभाग लेकर पहुंचे थे।
सड़क हादसे में माता और पिता की हो गई थी मौत
रेलवे अफसरों के मुताबिक बच्ची राधिका के पिता राजेंद्र कुमार यादव पीपी यार्ड भिलाई में सहायक के पद पर कार्यरत थे और चरोदा में रेलवे आवास में रहते थे, उनका गृह निवास मंदिर हसौद क्षेत्र में है। बीते एक जून को मंदिर हसौद की ओर से भिलाई आने के दौरान मंदिर हसौद में ही सडक दुर्घटना में राजेंद्र कुमार और उनकी पत्नी मंजू यादव की मौत हो गई थी। हादसे के समय बच्ची राधिका भी अपने माता-पिता के साथ बाइक में मौजूद थी और जीवित बच गई थी। माता पिता के निधन के बाद राधिका अपनी दादी के पास ही मंदिर हसौद में ही रह रही है।
रेलवे अधिकारियों ने नियुक्ति की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू की
रायपुर रेल मंडल द्वारा उनके परिवार को नियमानुसार सभी सहायता उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया के लिये उनके घर पर अधिकारियों एवं कल्याण निरीक्षक मिलने जाने वाले थे, पर राजेंद्र कुमार के परिजनों ने वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी से व्यक्तिगत रूप से कार्यालय में मिलना चाहा। बच्ची राधिका को लेकर सोमवार को उसके दादा-दादी, मौसी एवं चाचा रायपुर रेल मंडल कार्यालय पहुंचे और कार्मिक विभाग गए।
रेलवे में प्रावधान है कि बच्चा यदि छोटा है तो उसे वयस्क होने पर अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है, इसके लिए बच्चे का पंजीयन की प्रक्रिया रेलवे कराता है। बच्ची राधिका के मामले में भी ऐसा ही किया गया। वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी उदय कुमार भारती ने इस बच्ची के अनुकंपा के लिए अंगूठे का निशान जब लिया तो वह पल अत्यन्त मार्मिक था।
18 साल होने पर राधिका को मिलेगी रेलवे की सभी सुविधाएं
मासूम राधिका अब 18 साल होने के बाद रेलवे में नौकरी ज्वाइन करेगी। मासूम राधिका को अभी यह भी नहीं पता है कि इस दुनिया में उनके माता-पिता नहीं है और उसकी रेलवे में नौकरी पक्की हो गई है। नौकरी ज्वाइन करने के बाद मासूम राधिका को रेलवे की वह तमाम सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी जो अन्य रेलवे कर्मचारियों को उनके रैंक के अनुसार मिलती हैं।