भोपाल । प्रदेश में भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए अभियोजन की स्वीकृति को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग और अन्य विभागों के साथ विधि विभाग में एकमत नहीं हैं। करप्ट अफसरों के विरुद्ध कार्यवाही के मामले में कुछ विभाग सख्त हैं तो कुछ विभागों की ओर से इनके किसी न किसी तरह से बचाव के प्रयास किएजा रहे हैं। ऐसे में करप्शन को बढ़ावा मिलने और सरकार की छवि पर असर पड़ने की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा बनाई गई मंत्रिमंडलीय समिति गठित की गई है। इस मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लेने वाले हैं।
प्रदेश के करप्ट अफसरों पर कार्यवाही के मामले में अभियोजन के प्रस्ताव मंजूरी को लेकर विवाद की स्थिति बनी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने पिछले माह जारी आदेश में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी के आधार पर अब प्रदेश के वर्ग एक के अफसरों पर अभियोजन स्वीकृति की कार्यवाही मुख्यमंत्री समन्वय से अनुमोदन के बाद ही की जा सकेगी। इसके साथ ही एक अन्य आदेश में जांच एजेंसियों पर शासन की अनुमति के बिना केस दर्ज नहीं कर सकने के निर्देश जारी किए गए हैं।
इसका विरोध हो रहा है क्योंकि ऐसे में पहले से ही पेंडिंग करप्शन के मामलों में और वृद्धि होना संभावित है। इसी कारण विधि विभाग की कुछ अन्य विभागों के साथ मतभिन्नता की स्थिति है। सूत्रों का कहना है कि इसी के चलते मंगलवार को मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक सीएम शिवराज की मौजूदगी में होगी जिसमें फैसला लिया जाएगा।