भोपाल। मिल्क प्रोडक्ट का कारोबार करने वाले जय गायत्री ग्रुप ने दूध के कारोबार के नाम पर बेनामी संपत्ति अर्जित की है। आयकर विभाग के छापे में इस कम्पनी के विरुद्ध मिले दस्तावेजों के आधार पर यह बात सामने आई है जिसकी गहन पड़ताल विभाग कर रहा है और इसे प्रवर्तन निदेशालय को भी सौंपा जा सकता है। इस कम्पनी के बिहार और मध्यप्रदेश में 20 ठिकानों पर हुई छापेमारी में पचास करोड़ की टैक्स चोरी सामने आ चुकी है।
आयकर विभाग ने जय श्री गायत्री ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी तीन दिन पहले शुरू की थी। कम्पनी के बिहार में दानापुर और हाजीपुर के अलावा मध्यप्रदेश के भोपाल, मंडीदीप, सीहोर, ग्वालियर, इंदौर, दिल्ली स्थित ठिकानों पर लगातार दस्तावेजों की पड़ताल के बाद विभाग शैल कम्पनियों के बारे में भी जानकारी जुटा रहा हौ।
मोदी परिवार है जयश्री ग्रुप का मालिक
जयश्री गायत्री ग्रुप ने अपना ब्रांड एंबेसडर अभिनेत्री मंदिरा बेदी को बनाने के बाद अपना नाम और कारोबार बढ़ाया था। ग्रुप मोदी परिवार द्वारा संचालित है जिसमें पायल मोदी, किशन मोदी, राजेंद्र प्रसाद मोदी, चंद्रप्रकाश पांडे और अमित कुशवाहा ग्रुप डायरेक्टर हैं। विभाग ने जांच में पाया है कि बैंक में जमा नगदी में से 2.25 करोड़ रुपए का हिसाब कंपनी की बुक्स में नहीं था। छापे के दौरान कंपनी के अकाउंटेंट के जब्त स्मार्टफोन से 50 करोड़ रुपए से अधिक की टैक्स चोरी के प्रमाण मिले।
मोदी ग्रुप का पहले मुरैना में डेयरी कारोबार
मोदी परिवार के इस ग्रुप का कारोबार पहले मुरैना में डेयरी कारोबार के रूप में था। वर्ष 2013 में भोपाल में अपना कारोबार फैलाया। इसके लिए सीहोर के पास कंपनी की विशाल यूनिट तैयार की गई है। यहां से पूरे देश में दूध उत्पाद भेजे जाते हैं। समूह ने कारोबार को बढ़ाने के लिए हाजीपुर बिहार में 2016 में मिल्क प्रोडक्ट कारोबारी चंद्र प्रकाश पांडे से हाथ मिलाया। इसके बाद ग्रुप का टर्नओवर 500 करोड़ पार कर गया। आयकर अफसरों ने शाहपुरा स्थित मोदी परिवार के घर से 1 करोड़ रुपए की ज्वेलरी जब्त की। इसका कोई हिसाब नहीं मिला।
दर्जनभर कम्प्यूटर और लैपटाप जांच में
इस आधार पर विभाग ने एक दर्जन से अधिक लैपटॉप और कंप्यूटर भी जांच में ले लिए हैं। इस मिल्क प्रोडक्ट कारोबारी कम्पनी के निदेशकों के यहां छापेमारी में कच्चा बिल पर लेनदेन के दस्तावेज विभाग के हाथ लगे हैं। साथ ही करोड़ों के जमीन-जायदाद के अलावा शेयर, म्यूचुअल फंड में निवेश से जुड़े कागजात भी मिले हैं। पटना में एक डायरेक्टर के नाम से बैंक लॉकर का भी पता चला है। विभाग अभी इस एंगिल से भी जांच कर रहा है कि किसान से नगद में दूध खरीद कर उसे छोटे रिटेल काउंटर के जरिए ही नगद में बेच दिया जाता है। इसका कहीं हिसाब कम्पनी द्वारा नहीं रखा जाता है। यह काम एक दशक से किए जाने का अनुमान है।