भोपाल। परिसीमन के बाद भले ही त्रिस्तरीय पंचायत में सीटें बढ़ गई हैं, पर पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीटें कम हुई हैं। पिछले चुनाव में जिला पंचायत सदस्य की 841 सीटें थीं, जो इस बार बढ़कर 875 हो गई हैं, लेकिन ओबीसी आरक्षण घट गया। 2014-15 के चुनाव में ओबीसी के लिए 168 सीटें आरक्षित थीं, जो इस बार घटकर 98 रह गईं। इसी तरह सरपंच पद के आरक्षण में पिछड़ा वर्ग को नुकसान हुआ है। पंच पद की रिपोर्ट आनी बाकी है और जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया 31 मई को भोपाल में होगी।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सुप्रीम कोर्ट से राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की पिछड़ा वर्ग के प्रतिवेदन के आधार पर आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कराई। 25 मई को देर रात तक आरक्षण की प्रक्रिया चली। शुक्रवार शाम तक इसकी रिपोर्ट पंचायतराज संचालनालय आती रही। अभी जो रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक जिला पंचायत सदस्य के लिए हुए आरक्षण में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 140, अनुसूचित जनजाति के लिए 231 और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 98 आरक्षित की गई हैं।
406 सीट अनारक्षित हैं यानी किसी भी वर्ग का व्यक्ति इन पर चुनाव लड़ सकता है। 2014-15 के चुनाव में जिला पंचायत में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 136, अनुसूचित जनजाति के लिए 222, अन्य पिछड़ा वर्ग 168 और अनारक्षित सीटें 315 थीं। इसी तरह सरपंच पद के लिए अभी तक संचालनालय को 22 हजार 424 पंचायतों की जानकारी प्राप्त हुई है। इसमें तीन हजार 302 अनुसूचित जाति, सात हजार 837 अनुसूचित जनजाति, दो हजार 821 अन्य पिछड़ा वर्ग और आठ हजार 562 अनारक्षित वर्ग के लिए निर्धारित हुई है। हालांकि, कुछ जिलों से रिपोर्ट आनी अभी बाकी है।
वहीं, पिछले चुनाव को देखें तो कुल 22 हजार 607 सीटों में अनुसूचित जाति के लिए तीन हजार 248, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सात हजार 812, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए चार हजार 76 और अनारक्षित सात हजार 471 सरपंच के पद थे। इस प्रकार भले ही ओबीसी के लिए अधिकतम 35 प्रतिशत तक सीटें आरक्षित करने की व्यवस्था लागू की गई हो, पर इसका फायदा होता नजर नहीं आ रहा है।