मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2018 विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर-चंबल संभाग में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर हुई हिंसा के केस वापस लेने का ऐलान किया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के फैसले का ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की राजनीति का सीधा असर होगा। इसे 2023 विधानसभा चुनाव की तैयारी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। एट्रोसिटी एक्ट को लेकर दलित और सवर्णों के बीच विवाद की स्थिति बन गई थी। जिसके बाद दोनों ही पक्षों के ऊपर केस दर्ज किए गए थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कुछ गलतफहमी के कारण यह स्थिति बन गई थी। पिछले दिनों दोनों समाज के लोगों ने ग्वालियर में उनसे मुलाकात की थी। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे। 2018 में सर्वणों और दलितों के बीच विवाद के बाद सवर्णों पर एट्रोसिटी एक्ट के मामले दर्ज किए गए थे, वहीं दलितों पर भी केस दर्ज किए गए थे। उन सभी को वापस लेने का फैसला सरकार ने किया है।

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट को लेकर कहा था कि इन मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं होना चाहिए और शुरुआत जांच के बाद ही कार्रवाई होना चाहिए। दलित संगठनों ने कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई थी और भारत बंद का आह्वान किया था। 2 अप्रैल 2018 को कई हिस्से में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इसमें ग्वालियर-चंबल संभाग में हिंसक झड़पों में 6 लोगों की मौत हो गई थी।