दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा वाराणसी, उत्तर प्रदेश में ‘श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ’ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह कथा संस्थान द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक प्रकल्प बोध (नशा उन्मूलन अभियान) को समर्पित है। इस महान ज्ञानयज्ञ का शुभारम्भ मंगल कलश यात्रा से किया गया। कथा के प्रथम दिवस भागवताचार्या महामनस्विनी विदुषी सुश्री आस्था भारती जी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमें इस पवित्र नगरी में आने का सुअवसर मिला है। काशी सहस्रों महान योगियों-तपस्वियों की साधना स्थली रही है। काशी जैसे तीर्थ-स्थलों में Bio-Energy-Field व्याप्त रहता है। इसी कारण से यहाँ मरणासन्न व्यक्ति का लिंग शरीर ऊर्ध्व गति को प्राप्त करता है। दिव्य-ऊर्जा लिंग शरीर को एक उछाल प्रदान करती है, जिससे कर्म-संस्कारों के भार से बोझिल सूक्ष्म देह ऊँचाई की ओर गमन करती है। श्री रामकृष्ण परमहंस जी ने एक बार कहा था- काशी कोई ईंट और गारे से निर्मित जगह नहीं है, वह ‘दिव्य-चेतना’ का सघन पुंज है। इसलिए वहाँ के वातावरण में आज भी दिव्यता घुली हुई है। एक काशी स्थावर तीर्थ है, जो भौगोलिक रूप से भारत के मानचित्र पर अंकित है। दूसरी काशी वह है, जो हमारे अंतःकरण में स्थित है। उसे आत्मतीर्थ भी कहा जाता है। काशयां तु मरणामुक्तिः । काशः ब्रह्मतत्त्वप्रकाशः यस्यां अवस्थायां सा काशी । शास्त्र कहते हैं कि काशी एक आंतरिक अवस्था है, जिसमें हमें अपने अंतर्घट में ब्रह्म-तत्त्व के दिव्य प्रकाश का दर्शन होता है। यह दर्शन केवल एक पूर्ण सद्गुरु की कृपा से ही संभव है। गुरु-कृपा से ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर मनुष्य अपनी आंतरिक काशी में स्नान कर पवित्र हो जाता है व मुक्ति का अधिकारी भी बन जाता है।

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं- भारत का वैशिष्ट्य मुम्बई की चौपाटी नहीं। आगरे का ताजमहल अथवा दिल्ली का लालकिला भी नहीं। भारत- ‘भा+रत’ अर्थात जो प्रकाश में लीन है, वही भारत है। भारत का केंद्र हमारा अध्यात्म ज्ञान-विज्ञान- ‘ब्रह्मज्ञान’ रहा है। आज दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ब्रह्मज्ञान के उसी परमोज्ज्वल पथ को प्रशस्त करने में ही प्रयासरत है। साध्वी जी ने बताया कि ब्रह्मज्ञान से ही भारत की सुषुप्त अंतर्चेतना पुनः अंगड़ाई लेगी। भारत समस्त आरोपित आवरण उतारकर अपनी मौलिक अलौकिकता में स्थित होगा और फिर, सुसंस्कृत संतानों की जननी- ‘भारतीय संस्कृति’ समग्र विश्व को संस्कारवान बनाएगी।

माँ सरस्वती ने आज जिनके कंठ में अपने दिव्य स्वर दिए- साध्वी सुश्री श्यामला भारती जी, साध्वी सुश्री तारिणी भारती जी, साध्वी सुश्री शालिनी भारती जी, साध्वी सुश्री विनयप्रदा भारती जी, स्वामी हितेन्द्रानंद जी, गुरुभाई श्रेष्ठ जी, गुरुभाई शिवम जी, गुरुभाई गौतम जी। और इन भजनों को ताल व लयबद्ध किया- साध्वी सुश्री महाश्वेता भारती जी, साध्वी सुश्री शैलजा भारती जी, साध्वी सुश्री मणिमाला भारती जी, गुरुबहन अर्चना जी, गुरुबहन भारती जी, स्वामी मुदितानंद जी, स्वामी करुणेशानंद जी, गुरुभाई अमित जी, गुरुभाई अनिरुद्ध जी व गुरुभाई परमिंदर जी ने। कथा का आयोजन रामनाथ चौधरी शोध संस्थान (लॉन), बी.एच.यू. सुंदरपुर रोड, नरिया, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में 24 से 30 मई 2022 तक सांय 5:30 से रात्रि 9:00 बजे तक किया जा रहा था। यह कथा डीजेजेएस के यूट्यूब चैनल DJJSWORLD [www.youtube.com/djjsworld] पर 27 मई से 2 जून 2022, प्रातः 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक तथा सायं 7 बजे से रात्रि 10 बजे [IST] तक वेबकास्ट की जाएगी। यह कथा अंग्रेज़ी सबटाइटल्स के साथ प्रसारित की जाएगी, ताकि विश्वभर में भक्त श्रद्धालुगण इस कथा से लाभ ले सकें।