ग्वालियर। शासन की विभिन्न योजनाओं के नाम पर ग्रामीणों के फिंगर प्रिंट चोरी कर ठगी करने वाले गिरोह के खिलाफ राज्य सायबर पुलिस ग्वालियर जोन ने बडी कार्यवाही को अंजाम देते हुए गिरोह के 04 सदस्यों को गिरफ्तार किया है सभी आरोपी डबरा से पकडे गए है। खास बात ये है कि आरोपियों ने ठगी की पुरी कारस्तानी यू ट्यूब के जरिए सीखी है और अभी तक 30 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी की वारदात को अंजान दे चुके है। आरोपियों के पास से सायबर पुलिस को 982 नागरिकों के फिंगर प्रिंट का डाटा मिला है गिरफ्तार आरोपियों के नाम अशोक बघेल, रणवीर बघेल, उपेंद्र बघेल और भरत आदिवासी है ये सभी डबरा के रहने वाले बताए गए है। आरोपियों के कब्जे से 02 लैपटॉप ,03 बायोमेट्रिक डिवाईस, 04 मोबाईल फोन एवं सिम जप्त की गई है।
राज्य सायबर पुलिस ग्वालियर जोन एसपी सुधीर अग्रवाल के मुताबिक आरोपी ई-गवर्नेंस सर्विस के लिए CSC के रूप में रजिस्टर्ड होकर नगर पालिका डबरा और गांव-गांव कैंप लगाकर आयुष्मान कार्ड व ई-श्रम कार्ड बनाने एवं डिजीटल साक्षरता अभियान से जुडे थे। इसी दौरान आयुष्मान कार्ड व ई-श्रम कार्ड बनाने के नाम पर ग्रामीणों के फिंगर प्रिंट कैप्चर कर लिया करते थे। ग्रामीणों के सेव किये हुए फिंगर प्रिंट का उपयोग कर उनके खातों में उपलब्ध राशि को अपने साथी के नाम पर खुलवाये गये एयरटेल पेमेंट बैंक के खाते में ट्रांसफर करते थे गैंग का एक साथी एयरटेल पेमेंट बैंक में ली गई ठगी की राशि को अन्य किओस्क धारकों के खातों में ट्रांसफर कर देता था। गैंग का ही एक अन्य साथी ट्रांसफर की गई राशि के बराबर नगद राशि किओस्क सेंटरों से निकलवाकर लेकर आता था । आरोपियों ने कस्टमर सर्विस प्वाइंट (CSP) लेने के लिए फर्जी सिम का उपयोग तो किया ही तथा इसी सीएसपी से लिंक करने हेतु अपने ही एक अन्य अनपढ साथी को लालच देकर उसके दस्तावेजों पर एयरटेल पेमेंट बैंक का खाता खोल लिया ।
ग्वालियर जोन एसपी सुधीर अग्रवाल ने बताया कि राज्य सायबर पुलिस जोन -ग्वालियर में 28 से अधिक ग्रामीणों ने उनके सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया , स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया एवं बैंक ऑफ़ इंडिया में मौजूद बैंक खातों से धोखाधड़ी पूर्वक लगभग पांच लाख रूपये से अधिक राशि अज्ञात आरोपियों द्वारा निकाल लिए जाने के सम्बन्ध में आवेदन राज्य सायबर पुलिस ज़ोन ग्वालियर को दिया था ।
आवेदन पत्र की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच कर तत्काल वैधानिक कार्यवाही के निर्देश पुलिस अधीक्षक सायबर जोन-ग्वालियर ने कार्यवाहक निरीक्षक श्री जितेंद्र तोमर एवं उपनिरीक्षक शैलेन्द्र राठौर को दिये गये । जिसकी जांच पर पाया गया कि आवेदकों के बैंक खातों से आधार इनेविल्ड पेमेंट सिस्टम (AEPS) का उपयोग कर राशि निकाली गई है ।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिना स्मार्ट फोन तथा बिना कार्ड के बैंकिंग सुविधा प्रदान करने हेतु AEPS सिस्टम को प्रारंभ किया गया है । जिसको विभिन्न ग्राहक सेवा केंद्र(CSP) के माध्यम से लागू किया जाता है । कोई बैंक खाता धारक CSP पर जाकर अपने बायोमेट्रिक(थम्ब इंप्रेशन) का उपयोग कर बैंक से नगद राशि प्राप्त कर सकता है । फ्रॉड के संबंध में नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन इंडिया(NPCI) और विभिन्न संबंधित नोडल अधिकारियों से जानकारी ली गई ,तो उक्त समस्त राशि AEPS के माध्यम से ग्रामीणों को बैंकिंग सुविधा प्रदान करने के लिए एक ही ग्राहक सेवा केन्द्र का उपयोग किया जाना पाए जाने पर अपराध क्रमांक 36/22 धारा-66सी आईटी एक्ट एवं 420 भादवि पंजीबद्ध किया गया ।
अपराध की अग्रिम विवेचना में NPCI एवं विभिन्न नोडल अधिकारियों से प्राप्त जानकारी का तकनीकी विश्लेषण एवं आरोपियों से पूछताछ में पाया कि आरोपियों द्वारा फर्जी सिम का उपयोग कर अनपढ साथी को लालच देकर उसके नाम पर कस्टमर सर्विस प्वाइंट (CSP) रजिस्टर कराया तथा इस CSP से लिंक करने हेतु एयरटेल पेमेंट बैंक का खाता खोल लिया । इसके पश्चात आरोपियों द्वारा सुनियोजित ढंग से ग्रामीणों के आयुष्मान कार्ड, ई-श्रमिक कार्ड बनाने एवं डिजीटल साक्षर अभियान(दिशा) के नाम पर फिंगर प्रिंट को कैप्चर कर एक डिजीटल एप्प में सेव कर लिये । इन्हीं फिंगर प्रिंटो का उपयोग कर ग्रामीणों के खातों में विभिन्न योजनाओं एवं अन्य जगह से प्राप्त होने वाली राशि को निकालकर एयरटेल पेमेंट बैंक के खाते में ट्रांसफर किया और फिर इस खाते से अलग-अलग किओस्क सेंटरों के खातों में ट्रांसफर किया जाकर नगद रूप से राशि आहरति कर ली ।
पूरे मामले में किस आरोपी की क्या रही भूमिका
(1) आरोपी नंबर -1 की भूमिका – यह नगर पालिका डबरा एवं गाँव-गाँव कैंप लगाकर आयुष्मान कार्ड व श्रमिक कार्ड बनाता है। साथ ही प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजीटल साक्षरता अभियान के अंतर्गत प्रशिक्षण देने का कार्य भी करता है । उक्त कार्य हेतु आरोपी नंबर 2 के चिनोर रोड डबरा में स्थित बैंक ऑफ़ बड़ोदा का किओस्क सेण्टर से संपर्क में रहता था । आयुष्मान कार्ड व श्रमिक कार्ड बनाने हेतु ग्रामीणों के फिंगर कैप्चर करता था। अत: इसने आरोपी नंबर 2 व 3 के साथ एक योजना बनाई कि इन फिंगर प्रिंट के माध्यम से उनके बैंक खातों से रुपये निकाल सकते है । इसके लिए एक कस्टमर सर्विस प्वांइट (CSP) लेने के लिए जिओ की फेक सिम नंबर 8839420886 उपलब्ध कराया जिस पर रणवीर द्वारा ऑनलाइन कस्टमर सर्विस प्वांइट रजिस्टर कर लिया। और CSP से लिंक करने हेतु इसी नंबर पर आरोपी नंबर 2 ने अपनी किओस्क आईडी से आरोपी नंबर 4 के नाम से एयरटेल पेमेंट बैंक का खाता खोल दिया ।
(2) आरोपी नंबर -2 की भूमिका – यह चिनोर रोड डबरा में बैंक ऑफ़ बड़ोदा का किओस्क सेण्टर चलाता था जिसमें इसके पास एयरटेल पेमेंट बैंक का बीसी एजेंट, और सीएससी की आईडी भी थी जिससे MP Online का किओस्क भी था । इसके साथ सहयोग हेतु आरोपी नंबर 3 भी कार्य करता था । बैंक ऑफ़ बड़ोदा का किओस्क होने से इसे AEPS की अच्छी जानकारी थी । इसने आरोपी नंबर 4 को लालच देकर उसके नाम पर ऑनलाइन कस्टमर सर्विस प्वांइट रजिस्टर कर इसी CSP से लिंक करने हेतु एयरटेल पेमेंट बैंक का खाता खोला ।
(3) आरोपी नंबर -3 की भूमिका – यह अपने मामा आरोपी नंबर 2 के साथ उसके किओस्क सेंटर में काम करता था । पूर्व में आरोपी नंबर 1 के साथ गांव गांव जाकर कैंप लगाकर आयुष्मान कार्ड व श्रमिक कार्ड बनाने में सहयोग देता रहा है । आरोपी नंबर 2 के किओस्क सेंटर के संचालन में सहायता करता था तथा फ्रॉड ट्रांजेक्शन में प्रयुक्त डोंगल और सिम इसी ने उपलब्ध कराई थी । जब ग्रामीणों के थंब इम्प्रेशन का प्रयोग कर उनके खातों से राशि आरोपी नंबर 4 के नाम के एयरटेल पेमेंट बैंक खाता में ट्रांसफर की जाती थी तो उसे आरोपी नंबर 1 अन्य किओस्क धारकों के खातों में ट्रांसफर कर देता था । और आरोपी 2 के कहने पर यह उन सेंटर पर जाकर ट्रांसफर की गई राशि के बरारबर नगद राशि लेकर आता था।
(4) आरोपी नंबर -4 की भूमिका – यह आरोपी 2 के किओस्क सेंटर पर लॉन की किस्त जमा करने आता जाता रहता था जिससे इसकी पहचान थी । आरोपी 2 ने इस अपराध को कारित करने के लिए एक सीएसपी और खाते की जरूरत होने पर इसे खाता खुलवाने का लालच दिया तो इसने अपनी सहमति देकर अपने दस्तावेज और बायोमेट्रिक देकर सीएसपी रजिस्ट्रेशन और एयरटेल पेमेंट खाता की केव्हाईसी की इन दौनों के उपयोग से ही ग्रामीणों के खातों से राशि आहरित की गई ।
राज्य सायबर पुलिस जोन-ग्वालियर द्वारा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री योगेश देशमुख के निर्देश पर एवं पुलिस अधीक्षक सायबर जोन-ग्वालियर श्री सुधीर अग्रवाल के मार्गदर्शन में सायबर अपराधियों के विरूद्ध न केवल लगातार कार्यवाही की जा रही है । बल्कि गहन तकनीकी विश्लेषण करते हुए सायबर अपराधियों द्वारा अपराधों को अंजाम देने में प्रयोग में लाए जाने वाले तरीकों का पता लगाया जाकर उन पर नियंत्रण करते हुए कठोर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की जा रही है।
इस बडे मामले के खुलासे में सायबर पुलिस ग्वालियर जोन सराहनीय भूमिका – कार्यवाहक निरीक्षक श्री जितेन्द्र तोमर, उपनिरीक्षक अनिल शर्मा, उपनिरीक्षक शैलेन्द्र राठौर, सउनि धीरज शर्मा, प्र0आर0 हरनारायण शर्मा,आरक्षक सुभाष आर्य,आरक्षक प्रवीण शर्मा एवं आरक्षक चालक मेघश्याम की सराहनीय भूमिका रही ।
राज्य सायबर पुलिस ने आम नागरिकों के लिए बताई गई सावधानियां
(1) कोई भी योजना कार्ड बनवाने के लिए अपने फिंगर प्रिंट का उपयोग अधिकृत केंद्रों पर ही करें।
(2) ई-मित्र, बैंक मित्र, ग्राहक सेवा केन्द्र आदि जगहों पर फिंगर प्रिंट देते समय सावधानी बरतें।
(3) प्रत्येक आधार धारक के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण डिफॉल्ट रूप से “ सक्षम/Enable ” होता है । लेकिन इसे https://resident.uidai.gov.in/bio-lock लिंक का उपयोग करके अक्षम/Disable किया जा सकता है ।
(4) किसी भी अंजान व्यक्ति को अपना आधार कार्ड नहीं दें और न हीं उसका फोटो खींचने दें ।