भोपाल। कोई कन्या विवाह योजना में कन्याओं का भाई बनकर दिन भर बारातियों के लिए पूरियां तल के  तो कोई पिछले साल से चार गुना प्रोग्रेस के आधार पर सहकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष से शाबासी का इंतजार कर रहा था लेकिन जब इन सभी को विभाग ने तीस-तीस साल से सहकारी समितियों के आॅडिट नहीं होने, गड़बड़ियों का हिसाब नहीं देने के लिए नोटिस थमाए तो सभी वास्तविकता के धरातल पर वापस आ गए है। विभाग ने विभाग के लगभग तीन दर्जन अफसरों को पैक्स समितियों का आॅडिट नहीं कराने और समितियों के लेनदेन का हिसाब-किताब नहीं देने पर नोटिस जारी कर सीआर में यह सब दर्ज करने और कार्यवाही करने की चेतावनी दी तो विभाग के अधिकारियों के वाट्सएप गु्रप पर अफसरों का दर्द छलक आया।

सालों से आडिट नहीं
हरदा के सहायक पंजीयक अंकेक्षण बीएस भदौरिया ने चार पैक्स समितियों का 31 सालों से आॅडिट नहीं करवाया है। इसी तरह सागर, सिंगरौली, डिंडौरी, उमरिया, श्योपुर, अशोकनगर, भिंड, ग्वालियर, रायगढ़, मुरैना, सीधी, जबलपुर, पन्ना, नर्मदापुरम, दतिया, सतना, रीवा, शिवपुरी, टीकमगढ़, दमोह, रायसेन, गुना के अधिकारियों को अलग-अलग वर्षों के आॅडिट नहीं कराने के लिए नोटिस दिए गए है।

4 गुना प्रोग्रेस फिर भी नोटिस
एक अफसर को नोटिस मिला तो उन्होंने टिप्पणी की कि नसरुल्लागंज में  21 अप्रैल को सीएम कन्या विवाह योजना में पूड़ी तलवाई परन्तु उसके बाद ही नोटिस मिल गया। एक अन्य अफसर ने टिप्पणी की है कि आॅडिट के लिए तीन नोटिस मिल चुके है जबकि इस साल की प्रोग्रेस  पिछले साल से चार गुना अधिक है। एक का कहना था कि मै तो इस धोखे में था कि इस बार शाबाशी मिलेगी लेकिन नोटिस देख कर वास्तविकता के धरातल पर आ गया।

हर साल आॅडिट जरूरी
सहकारिता विभाग और उससे जुड़ी प्राथमिक समितियों का हर साल आॅडिट कराना अनिवार्य होता है। सहकारिता विभाग के सहायक, उप पंजीयक अंकेक्षण के कंधों पर यह जिम्मेदारी होती है। लेकिन कभी समितियों के संचालकों को उपकृत करने, कभी वित्तीय अनियमितताओं पर पर्दा डालने के लिए अफसर आॅडिट नहीं कराते। कई समितियों का तो 31 साल से आॅडिट नहीं हुआ है।