भोपाल। राजधानी में आखिरकार शराब दुकानों की नीलामी में लिकर सिंडीकेट की ही चली। नए वित्तीय वर्ष में दो दिन खुद शराब दुकानों का आबकारी विभाग ने संचालन किया। इसके बाद बची हुई करीब 22 शराब दुकानों को करीब 40 फीसदी नीचे दामों पर टेंडर स्वीकृत किए गए। ऐसे में जिले की सभी 90 दुकानें सेल हो गर्इं। वहीं, रहवासियों के विवाद और दुकान किराए को लेकर शहर की एक दर्जन से अधिक शराब दुकानों की लोकेशन में भी बदलाव किया
गया है। हालांकि यह बदलाव 100 मीटर के अंदर ही है, लेकिन जगह बदलने से लोगों को काफी राहत मिल रही है।

15 चरणों में बिकी सभी शराब दुकानें
राजधानी सहित प्रदेश के 17 जिलों में दुकानों की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है। दुकानों को लेकर ठेकेदार आगे नहीं आ रहे थे, ऐसे में शासन को रिजर्व प्राइस से 40 फीसदी तक दरें कम करनी पड़ी। भोपाल की बात करें तो 9 समूहों की 22 शराब दुकानों की नीलामी के लिए आबकारी विभाग ने काफी मशक्कत की, लेकिन देर रात को इन ग्रुपों को भी स्वीकृत कर दिया गया। भोपाल में पहली बार 15 चरणों की नीलामी प्रक्रिया के बाद पूरी शराब दुकानें नीलाम हो सकीं हैं।

बरखेड़ा पठानी, मिसरोद और सुभाष नगर में बवाल
बताया जा रहा है कि शहर में बरखेड़ा पठानी-अवधपुरी शराब दुकान, मिसरोद और सुभाष नगर स्टेट हाइवे पर स्थित शराब दुकान को तय स्थान पर खोलने को लेकर लगातार विरोध चल रहा है। इन इलाकों के रहवासी बीते कई दिनों से शराब दुकान की जगह परिवर्तन को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं। हालांकि अब तक प्रशासन ने इन दुकानों की जगह बदलने को लेकर कोई सख्त कदम नहीं उठाया है।

5 नंबर बस स्टॉप पर 20 साल बदली जगह
शहर में नए वित्तीय सत्र में शराब दुकानों की जगह बदलने से रहवासियों में काफी खुशी है। पांच नंबर बस स्टॉप, तुलसी नगर स्थित शराब दुकान का पता करीब 20 साल बदला है। इसी तरह, नयापुरा कोलार की शराब दुकान भी डेढ़ दशक बाद रहवासी इलाके से दूर हुई है। इससे रहवासियों को आए दिन जाम और शराब पीकर वाद-विवाद करने वाले लोगों से राहत मिली है। विभाग का दावा है कि शहर में करीब 15 से 20 शराब दुकानों की लोकेशन बदली गई है।

शराब ठेकेदार गाइडलाइन के आधार पर देगा मासिक किराया
नगर निगम प्रशासन शहर में डेडिकेटेड शराब दुकानें खोल रहा है। भोपाल में सर्वधर्म कॉलोनी कोलार, पीएंडटी चौराहा, पंचशील नगर और कोकता की शराब दुकानें नगर निगम द्वारा बनाई गई दुकानों में ही चालू की जानी हैं। रहवासी क्षेत्रों के आसपास, मुख्य बाजारों और धार्मिक स्थलों के पास शराब दुकानें संचालित होने को लेकर लगातार विरोध होता था, इस कारण यह निर्णय लेते हुए निगम प्रशासन ने दुकानें बनाने का निर्णय लिया। सरकारी जमीन पर बनी इन दुकानों पर शराब ठेकेदारों से कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर तय रेट का 2 फीसदी मासिक किराया लिया जाएगा।