भोपाल। प्रदेश के 5.21 लाख परिवारों के लिए मंगलवार का दिन मंगल लेकर आया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में गृह-प्रवेश कराया। पीएम मोदी इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छतरपुर में इस कार्यक्रम में शामिल हुए और वहां के पात्र परिवारों को गृह प्रवेश कराया। प्रधानमंत्री मोदी ने गृह प्रवेश कराने के बाद हितग्राहियों से वर्चुअल संवाद भी किया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार का संकल्प है कि हर गरीब परिवार का अपना पक्का मकान हो। इस संकल्प की पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में वर्ष 2024 तक हर व्यक्ति को पक्का आवास उपलब्ध कराया जाना है।
प्रदेश में अभी तक इस योजना में 24.10 लाख आवास पूर्ण कराए जा चुके हैं। योजना के विशेष प्रोजेक्ट में बैगा, सहरिया एवं भारिया जनजातियों के स्वीकृत आवासों में से 23 हजार से अधिक आवास पूर्ण हो चुके हैं। सामाजिक, आर्थिक एवं जाति जनगणना-2021 की सर्वे सूची में छूटे हुए पात्र व्यक्तियों को प्रधानमंत्री आवास दिलाने के लिए आवास प्लस योजना शुरू की गई है। इसमें प्रदेश में छूटे हुए 31.36 लाख परिवारों का नाम जोड़ा गया है, जिन्हें भारत सरकार की गाइड-लाइन अनुसार आवास दिए जा सकेंगे।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी द्वारा #PMAYG के तहत मध्यप्रदेश के 5.21 लाख परिवारों को अपने पक्के मकान की सौगात दी गई। ‘गृह प्रवेशम्’ के पावन अवसर की आप सभी को शुभकामनाएं।#SabkoAwasMP #Chhatarpur pic.twitter.com/wrrbW0ZHTt
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 29, 2022
अभ्युदय नवाचार के लिए 2731 गांवों का चुनाव
योजना में अभ्युदय नवाचार के माध्यम से ऐसे ग्राम अथवा ग्राम पंचायतें, जहां 100 से अधिक आवास बन रहे हैं, वहां विभिन्न योजनाओं को जोड़कर एकीकृत कार्य-योजना बनाई जाती है जिससे ग्राम एवं ग्रामीणों का सर्वांगीण विकास हो सके। इसमें सामुदायिक और व्यक्तिगत अधोसंरचना निर्माण, सामाजिक सुरक्षा, आजीविका सुदृढ़ीकरण कार्य किए जाते हैं। अभ्युदय नवाचार में पूरे प्रदेश में अभी तक 2731 ग्रामों का चिन्हांकन किया गया है जिनमें से 1668 ग्रामों के सर्वांगीण विकास की विस्तृत कार्य-योजना बनाई जा चुकी है।
फ्लाई ऐश ब्रिक्स का उपयोग
आवास निर्माण में फ्लाई ऐश ब्रिक्स के उपयोग के लिए हितग्राहियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह ईंटें सामान्य ईंट की तुलना में सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण होती हैं। प्रदेश में स्व-सहायता समूहों को भी आवास निर्माण के कार्य से जोड़ा गया है। प्रदेश में 33 स्व-सहायता समूहों के 300 से ज्यादा सदस्य लगभग 60 से 65 हजार फ्लाई ऐश ईंट प्रतिदिन बना रहे हैं। इसके अलावा लगभग 2800 स्व-सहायता समूहों के 11 हजार 840 सदस्यों को बैंकों से ऋण दिलवा कर सेन्टरिंग सामग्री उपलब्ध कराई गई है। इन कार्योंं से ग्रामीण क्षेत्र के स्व-सहायता समूहों की महिलाओं का आर्थिक सुदृढ़ीकरण भी हो रहा है।