ग्वालियर । जिस तरह से कुएं का जल हम निकालते रहते हैं और वह इसी कारण निर्मल बना रहता है। यदि कुएं का पानी न निकाला जाये तो वह कीचड में बदल जाता है। इसी प्रकार भगवत ध्यान से हमारा मन भी शुद्ध बना रहता है। अत: प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन काल में प्रतिदिन समय निकाल कर भगवत ध्यान करना चाहिये। मन हमेशा भजन से पवित्र रहता है और शरीर सेवा से ठीक रहता है। जो भगवत भरोसे होते हैं उन्हें कभी भी कोई चिंता नहीं करनी चाहिये, श्याम का भरोसा कभी बेकार नहीं जाता ।
उक्त बात आज प्रसिद्ध भागवत कथा वाचक आचार्य श्री अरविंद जी महाराज ने कही। अचलेश्वर बिहार कालोनी पार्क कांती नगर में आचार्य श्री अरविंद जी ने आज भागवत कथा के सांतवे दिन सुदामा चरित्र , योगेश्वर महिमा, दत्तात्रेय गुरू कथा , परीक्षित मुक्ति भागवत व्याख्यान पर अपनी बात कही। आज एकादशी उदयापन का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ। आज फूलों की होली का भी आयोजन हुआ। आचार्य श्री अरविंद जी ने आज भगवान शुकदेव व राजा परीक्षित के बीच हुई चर्चा का भी विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि सात दिन की इस कथा मं राजा परीक्षित को आत्मा और परमात्मा का ज्ञान हुआ। उन्होंने स्वयं तक्षक के आने का इंतजार भी किया ताकि इस नश्वर शरीर से मुक्ति पा सकें। आचार्य श्री ने कहा कि आत्मा कभी नष्ट नहीं होती। आचार्य श्री अरविंद महाराज ने कहा कि भागवत में आजकल मूल पाठ से कई लोग दूर रहते हैं जबकि भागवत आयोजन में मूल पाठ व गीता पाठ अवश्य ही कराना चाहिये। तभी भागवत पूरी होती है। आचार्य श्री ने कहा कि आपत्तिकाल में स्त्री , युद्ध में क्षत्रिय की और विद्वानों की भागवत में परीक्षा होती है।
आचार्य श्री ने कहा कि भागवत भाग, ज्ञान, वैराग्य और तत्व से मिलकर बना है, इसमें सब अपने अपने भाग का काम याद रखें। यी मानवता है और दूसरे का भाग रखोंगे तो यह दानवता है। इसी कारण रावण जैसे ज्ञानी का भी अंत हुआ। वैसे भी भागवत आयोजन में हम कभी भगवान का चरित्र पूरा नहीं बता सकते क्योंकि हरी अनंत हरी कथा अनंता। शुकदेव जी ने भी राजा परीक्षित से यही कहा था।
आज अचलेश्वर बिहार पार्क में उपस्थित हजारों लोगों ने भागवत व आचार्य श्री का पूजन भी किया। इस मौके पर महा आरती भी संपन्न हुई।