जबलपुर ।  मध्य प्रदेश शासन ने दिनांक 08/03/2019 को अध्यादेश जारी कर एवं 6 माह की अवधि के अंदर, मध्य प्रदेश विधान सभा द्वारा ओबीसी के 27% आरक्षण से संवन्धित दिनांक 14/08/2019 को कानून बनाकर सम्पूर्ण प्रदेश मे लागू कर दिया गया जो दिनांक 08/3/2019 से हाईकोर्ट मे विवादो के घेरे मे है ! दिनांक 19/03/2019 को हाईकोर्ट ने उक्त कानून पर बिना किसी कमेन्ट के ही नीट पी जी मेडीकल प्रवेश 2019-20 मे ओबीसी को सिर्फ 14% आरक्षण देने का आदेश दिया था | ज्ञातव्य हो की उक्त प्रवेश परीक्षा मे ओबीसी को पूर्व से ही केवल 14% ही आरक्षण दिया जा रहा था फिर भी कोर्ट ने संभावना के आधार पर अन्तरिम आदेश जारी कर दिया गया था |

उक्त अन्तरिम आदेश को बिभिन्न अन्य याचिकाओ मे लागू किया गया जबकि अधिनियम पर आज दिनांक तक किसी भी न्यायालय की रोक/स्टे नही है | इन समस्त भ्रांतियों को निराकृत करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता ने राज्य सरकार को अभिमत दिया गया था की जिन पाँच विषयो पर स्टे है उनको छोड़कर अन्य सभी विभागो मे ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जा सकता है, जिस पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 02/9/2021 को समस्त विभागो को एक नोटिफिकेशन/सर्कुलर जारी करके ओबीसी के 27% आरक्षण को लागू किए जाने के निर्देश दिए गए थे | नए महाधिवक्ता की नियुक्ति के समय से नवंबर 2021 मे पाँच याचिकाओ मे हाईकोर्ट द्वारा स्थगन आदेश जारी किए जा चुके है |

इसी प्रकार आयुष मेडीकल प्रवेश 2022 मे ओबीसी को 27% आरक्षण दिया गया | ओबीसी के उक्त 27% आरक्षण लागू किए जाने के विरोध मे जबलपुर हाईकोर्ट मे दायर याचिका कर्मांक 3833/2022 मे दिनांक 22/2/2022 को न्यायमूर्ति श्री शील नागू एवं श्री एम एस भट्टी की खंडपीठ ने याचिका की प्रारम्भिक सुनवाई की गई उक्त सुनवाई मे शासन की ओर से विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उक्त याचिका मे अन्तरिम आदेशरार्थ सुरक्षित रख लिया था | तथा दिनांक 26/02/2022 को आयुष विभाग मे ओबीसी को 14% से अधिक आरक्षण न देने का अन्तरिम आदेश पारित किया गया था, जबकि सीट एलाटमेंट की अंतिम दिनांक 24/02/2022 थी तथा उक्त दिनाक तक प्रदेश की समस्त आयुष मेडीकल मे आबंटित सीटो पर ओबीसी को 27% आरक्षण के मान से, प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी !

हाईकोर्ट के इस आदेश के विरोध मे सूप्रीम कोर्ट मे SLP दायर करने हेतु विशेष अधिवकताओ द्वारा, महाधिवक्ता को अभिमत दिया गया था, तथा महाधिवक्ता ने आयुष विभाग को SLP के लिए दिनांक 07/3/2022 को पत्र लिखा तथा विभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट मे SLP ( C ) No॰ 4753/2022 दायर की गई जिसकी सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव तथा न्यायमूर्ति श्री बी आर गवई की खंडपीठ मे दिनांक 21/03/2022 को सुनवाई के दौरान सालीसिएटर जनरल आफ इंडिया श्री तुषार मेहता ने मध्य प्रदेश शासन का पक्ष रखते हुए अपेक्स कोर्ट को बताया गया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अन्तरिम आदेश कानून के विरोध मे पारित किया गया है श्री मेहता का तर्क था कि, ओबीसी की 51% आवादी को, प्रदेश मे इस वर्ग को 27% आरक्षण का कानून विधायिका द्वारा बनाया जा चुका है जिसकी वैधानिका को कई याचिकाओ मे चुनोटी दी गई है तथा याचिकाओ के अंतिम निराकरण किए बिना निरंतर रूप से अन्तरिम आदेश पारित किए जा रहे है जो सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बिपरीत है |

उक्त तर्को से सहमत होते हुए सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट से निवेदन किया की ओबीसी के आरक्षण से संवन्धित याचिकाओ का प्राथमिकता के आधार पर अंतिम निराकरण किया जाए तथा श्री मेहता हाईकोर्ट के अन्तरिम आदेशानुसार ओबीसी को 14% लागू करने के लिए पुनः प्रवेश प्रक्रिया के लिए निवेदन पर सुप्रीम कोर्ट का आयुष विभाग मे ओबीसी को दिया गया 27% आरक्षण पर दखल से साफ इंकार किया ! तथा सुप्रीम कोर्ट ने आदेश मे कहा कि शासन अपनी व्यथा हाईकोर्ट को सुनाए !