ग्वालियर। पूज्य संत एवं अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिषाचार्य राघव ऋषि ने कहा है कि मनुष्य का जन्म सभी को आनंद देने के लिये है। शरीर को मथुरा और हृदय को गोकुल यदि नन्दरूपी जीव बनाता है तो प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।

पूज्य राघव ऋषि जी आज वैश्य गार्डन रमटापुरा पर चल रही संगीतमय श्रीमदभागवत सप्ताह के पांचवे दिन नंदोत्सव का आनंद उपस्थित श्रद्धालुओं को करा रहे थे। पूज्य राघव ऋषि ने कहा कि भगवान ने बाललीला में सबसे पहले पूतना का बध किया। पूत धन ना अर्थात जो पवित्र नहीं है। वो है पूतना। उन्होने कहा कि अज्ञान पवित्र नहीं है। जिसकी आकृति तो सुंदर है एवं कृति बुरी है वही पूतना है। शरीर बाहर से तो सुंदर है किन्तु हृदय विष से भरा हुआ है वही पूतना है। जीव तर्क कुतर्क करके भगवान पर कटाक्षेप करता है फिर भी प्रभु उस पर कृपा कर सदगति देते हैं। पूज्य राघव ऋषि ने माखनचोरी लीला का वर्णन करते हुये बताया कि पवित्र मन ही माखन है जिसका मन पवित्र होता है भगवान उसी के घर पधारकर उसके हृदय को चुरा लेते हैं। गोपियां तल्लीन होकर घर गृहस्थी के कार्य करते हुये भगवान के लिये माखन बिलोपती हैं।

इस नंदोत्सव के मौके पर जहां पूज्य राघव ऋषि के पुत्र सौरभ ऋषि ने जरी की पगडी बांधे से बालकृष्ण का भजन गाकर सभी श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। वहीं कथा स्थल वैश्य गार्डन में नंदोत्सव पर बांधी गई माखन की मटकी हांडी फोडकर सभी को प्रसाद वितरित किया गया।

पूज्य राघव ऋषि ने कहा कि यशोदा अर्थात यश ददाति इति यशोदा। जो दूसरों को यश दे भगवान उसी की गोद में रहते हैं। मन पूर्णत: वासना हीन होने पर ईयवर के साथ जा मिलता है। उन्होने कहा कि कौशकी संहिता में कथा है कि भगवान शिव ही बांसुरी के रूप में आए। रामावतार में हनुमान जी ने चरणों की सेवा की कृष्णावतार में वंशी के रूप में शिव की सेवा की। अघासुर अजगर के रूप में आया और गोपाल को निगलने लगा। अघ अर्थात पाप। पाप को भगवान ही मारते हैं। भगवान की लीला में ब्रह्मा जी को मोह हुआ तो भगवान ने उस मोह को भंग किया।

पूज्य राघव ऋषि ने गोवर्धन की मार्मिक व्याख्या करते हुये कहा कि गो का अर्थ है भक्ति । भक्ति को बढाने वाली लीला ही गोवर्धन लीला है। जीव का घर भोग भूमि है। अत: भक्ति बढाने के लिये थोडे समय किसी पवित्र स्थान में रहकर साधना करनी चाहिये। भगवान ने सभी वृजवासियों से महालक्ष्मी का पूजन कराया जो दीपावली के दिन संपन्न हुआ। सारे वृजवासियों ने भेंट व खाद्य सामग्री गोवर्धन के लिये लाई। कन्हैया स्वयं पूजन करा रहे है। गोवर्धन जी का अभिषेक , श्रंगार व छप्पन प्रकार के भोग अर्पण किया गया। इस अवसर पर जन सामान्य ने भी भगवान को नैवेद्य अर्पण किया। उन्होंने कहा कि गोवर्धन लीला के समय कन्हैया सात वर्ष के थे। राघव ऋषि ने कहा हिक भगवान ने वृजवासियों की रक्षा गोवर्धन नाथ को धारण कर की। इसके बाद इन्द्र ने दूध से अभिषेक किया, जिसे सुरभि कुण्ड में एकत्रित किया गया। कथा के अंत में मुख्य यजमान राकेश गुप्ता , संध्या गुप्ता , शकुंतला देवी, ऋषि सेवा समिति के संतोष अग्रवाल, रामबाबू अग्रवाल, संजय शर्मा, हरिओम शर्मा, रामसिंह तोमर, मनोज अग्रवाल, मनीष बंसल, राजीव शर्मा, नवीन त्रिपाठी, मनीष अग्रवाल, बल्लू राजू, अंबरीष गुप्ता, उमेश उप्पल, आनंद मोहन अग्रवाल, प्रमोद गर्ग, जगमोहन सिंह, रामप्रसाद शाक्य, चन्द्रप्रकाश शुक्ला, बद्रीप्रसाद गुप्ता, दिनेश अग्रवाल, रघुनंदन सिंह तोमर, रामसिंह तोमर, उमाशंकर बत्स, जगदीश गुप्ता, विष्णु पहारिया, गिरीश शर्मा, रचना पहारिया, मीना सेठ, सुधा रानी गुप्ता, दिनेश अग्रवाल, प्रतिभा श्रीवास्तव, प्रीति श्रीवास्तव, चन्द्रकांता अग्रवाल, अनीता शर्मा, वंदना बत्स, ज्योति उप्पल, ममता अग्रवाल, राधारानी अग्रवाल, आदि ने श्रीमद भागवत की भव्य आरती उतारी