भिण्ड। भिण्ड नगरी ऋषि मुनियों की तपोभूमि है। इसी तपोभूमि पर राष्ट्रसंत गणाचार्य विराग सागर महाराज का ससंघ आगमन हुआ है। महाराजश्री की अगवानी जहां उनके भक्तों ने की, वहीं मेघों ने आसमान से अमृत की वर्षा कर उनका स्वागत किया। भिण्ड में वर्षा नहीं हो रही थी, लेकिन महाराजश्री के चरण पडते ही अमृत की वर्षा शुरु हो गई जो निरंतर जारी है। स्थानीय कीर्तिस्तंभ पर जैन समाज व उनके भक्तजनों व भिण्ड विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने महाराजश्री की अगवानी की।
राष्ट्रसंत गणाचार्य विराग सागर महाराज का ससंघ भिण्ड आगमन 16 साल बाद हुआ है। उनका चातुर्मास भिण्ड की तपोभूमि पर पहली बार नहीं बल्कि छठवीं बार हो रहा है। महाराजश्री के ससंघ में 49 जैन साधू-साध्वियों का आगमन हुआ है।
महाराज विराग सागर ने कहा कि स्वयं की आत्मा में अनेक शक्तियां होती है। शक्ति को पहचानने और उसको समझने की आवश्यकता है। जो आत्मा की शक्ति को पहचान लेता है वह जीवन में कभी किसी काम में असफल नहीं होता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को संस्कारित बनाने की आवश्यकता है।