भोपाल। उत्तर प्रदेश में जारी विधान सभा चुनावों के बीच मध्य प्रदेश में आगामी दिनों में कांग्रेस को एक बार फिर झटका लगने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी के कई विधायकों के स्वर बदले हुए है। अथवा उन्होंने पार्टी से दूरी बना रखी हैं। भाजपा भी इन चर्चाओं पर मुहर लगा रही है। बता दें कि मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में 22 विधायकों के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के कारण ही कमलनाथ की तत्कालीन सरकार गिर गई थी और भाजपा एक बार फिर सत्ता में आई थी। उसके बाद कई और विधायकों ने एक-एक कर कांग्रेस का दामन छोड़ा. बीते लगभग एक साल से दल बदल का यह दौर धीमा पड़ा हुआ है। लेकिन एक बार फिर कांग्रेस के कई विधायकों के पाला बदल की चचाएं जोरों पर हैं।
भाजपा के प्रवक्ता डॉ हितेष वाजपेयी का सोशल मीडिया पर एक बयान सामने आया है। जो इस बात की पुष्टि कर रहा है। कि कांग्रेस में सब ठीक-ठाक नहीं है। और कई विधायक पाला बदल सकते हैं। उन्होंने लिखा है। कमलनाथ, गोविंद सिंह के इलाके में, गोविंद सिंह और के पी सिंह को क्या ऑफर करेंगे कोई पद? भिंड-मुरैना -चंबल के एक दर्जन असंतुष्ट को क्या भाएगी कमलनाथ की लॉलीपॉप क्या सतीश सिकरवार और भितरवार के नेता आएंगे नाथ से मिलने डॉ हितेष वाजपेयी का यह बयान उस समय आया है। जब कांग्रेस के प्रदेषाध्यक्ष कमलनाथ का भिंड दौरा है। और ग्वालियर के मुरार क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक सतीश सिंह सिकरवार लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं। सिकरवार कभी भाजपा में हुआ करते थे। मगर टिकट न मिलने पर उन्होंने पाला बदल किया और उन्होंने मुरार से उपचुनाव लड़ा, परिणाम स्वरूप उन्हें जीत हासिल हुई। सिकरवार द्वारा सिंधिया की लगातार की जा रही
तारीफ को भी उनकी भाजपा से बढ़ती नजदीकी के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा के प्रवक्ता डॉ वाजपेयी के बयान पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के महामंत्री केके मिश्रा का कहना है कि इस बयान में कोई सच्चाई नहीं है। वास्तविकता तो यह है। कि डॉ वाजपेयी इन दिनों फुर्सत में है। भाजपा उन्हें पूछ नहीं रही है। लिहाजा उन्हें अपना सारा ध्यान कांग्रेस पर फोकस करना पड़ रहा है। बता दें कि पिछले दिनों सिंधिया ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी राघौगढ़ के पूर्व विधायक मूल सिंह दादा भाई के पुत्र हीरेंद्र प्रताप सिंह को भाजपा में शामिल कराकर बड़ा झटका दिया था। अब सिंधिया फिर भाजपा संगठन के साथ मिलकर कांग्रेस को झटका देना चाहते है। उसी के चलते दल बदल की चचार्ओं ने जोर पकड़ा है।