सुनील गौतम, दमोह। मध्यप्रदेश का जैन तीर्थ कुंडलपुर में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को भगवान आदिनाथ का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। मुख्य पंडाल में सुबह भगवान का अभिषेक, शांतिधारा व नित्य पूजन हुआ।

सुबह 7.30 बजे जैसे ही प्रतिष्ठाचार्य विनय भैया ने माता मरूदेवी की कोख से बालक आदिकुमार के जन्म की घोषणा की, पूरा पंडाल भगवान के जयकारों से गूंजने गया। अनेक तरह के वाद्य यंत्र बजाकर भगवान के जन्मोत्सव की खुशियां मनाई गईं। कुबेर ने खुशी से नाचते हुए पूरे पंडाल में अपना खजाना लुटाया। जन्मोत्सव के समय पंडाल में 40 हजार से अधिक श्रद्धालु उपस्थित थे।

सौधर्म इंद्र ने किए दर्शन, खुशी से नाचे कुबेर रू जन्मोत्सव के दौरान महाराजा नाभिराय का दरबार सजाया गया। सौधर्म इंद्र अपनी रानी शची के साथ नाभिराय के दरबार में पहुंचे और भगवान के जन्मोत्सव की बधाई दी। रानी शची प्रसूति गृह हुंचकर बालक तीर्र्थंकर को लेकर्र आईं। सौधर्म इंद्र ने एक हजार नेत्र बनाकर भगवान के दर्शन किए। खुशी से नाचते हुए कुबेर ने पूरे पंडाल में अपना खजाना लुटाया। कुबेर ने चांदी के सिक्के बरसाए तो पंडाल में यह सिक्के पाने लोग झपट पड़े। माना जाता है कि भगवान के जन्मोत्सव पर कुबेर के लुटाए रत्न आदि तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं होती।

ऐरावत हाथी पर बैठे बालक तीर्र्थंकर रू सौधर्म इंद्र और रानी शची ऐरावत हाथी पर बालक तीर्र्थंकर को बिठाकर विशाल जुलूस के साथ सुमेरू पर्वत स्थित पांडुकशिला पर पहुंचे। यहां बालक तीर्र्थंकर को बिठाकर 1008 कलशों से अभिषेक किया गया। भगवान का अभिषेक करने भक्तों की कतार लग गई। अनेक लोगों ने मिष्ठान वितरित कर भगवान के जन्मोत्सव की खुशियां मर्नाईं।