भोपाल । सरकारी अफसरों और कर्मचारियों ने यदि अब कोर्ट में अपने बयान को बदल कर आरोपियों को लाभ पहुंचाया तो उन पर गाज गिरेगी। ऐसे अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन के लिए अनुशंसा की जाएगी।

अनुशंसा कलेक्टर और विभाग के सीनियर अफसरों को की जाएगी। दरअसल कई मामलों में अफसरों और कर्मचारियों ने पुलिस को अलग बयान दिए और कोर्ट में जाकर उन्होंने अपने बयान बदल लिये। हाल ही में लोक अभियोजन के स्पेशल डीजी अन्वेष मंगलम ने ऐसे मामलों की समीक्षा की, जिसमें सरकारी अफसर या कर्मचारी या तो फरियादी थे, या वे इन मामलों में मुख्य गवाह थे।

समीक्षा में पता चला कि ऐसे कई मामले में जिसमें अफसरों और कर्मचारियों ने पुलिस में आरोपी के खिलाफ बयान दिया और कोर्ट में जाकर आरोपी के पक्ष में बयान कर दिया। समीक्षा में यह भी पाया गया कि कई बार आरोपी को लाभ पहुंचाने के लिए कर्मचारी और अफसर बयान देने पर पेशी पर ही नहीं पहुंचते हैं। इस समीक्षा के बाद गृह विभाग के आला अफसरों से स्पेशल डीजी ने चर्चा की। इसके बाद यह तय हुआ कि कोर्ट में बयान बदलने वाले अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाएगा। इसके लिए लोक अभियोजन की तरफ से केस की पूरी डिटेल विभाग प्रमुख और संबंधित जिले के कलेक्टर को दी जाएगी ताकि उन्हें यह पता रहे कि किसी मामले में कौन सा अफसर बयान देने जाने वाला है।

इन जिलों से खुली पोल
सूत्रों की मानी जाए तो समीक्षा में पता चला कि पन्ना जिले में एक सब इंजीनियर ने लूट की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई। पुलिस में उन्होंने बयान भी दिए और बाद में वे कोर्ट में आरोपी के पक्ष में बयान दे गए। इसी तरह के रीवा और श्योपुर में पुलिसकर्मियों ने भी अपने बयान बदल कर आरोपियों को सजा से बचा लिया। इस तरह के कई और मामले सामने आए, इसके बाद यह निर्णय लिया गया।